2024 में भाजपा के विजयी घोड़े पर लगाम कसने के लिए तैयारियां जोरो शोरों से चल रही है। इस तैयारी के फ्रेम में जो सबसे अधिक नजर आ रहे हैं वो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। जो एक के बाद एक विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर उन्हें एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। बिहार में जब से महागठबंधन की सरकार बनी तभी से नीतीश कुमार विपक्षी एकता के लक्ष्य को पूरा करने को तत्पर हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो विपक्षी एकता की इस मुहीम में नीतीश कुमार महज एक किरदार मात्र है। इसका असली सूत्रधार खुद को किंगमेकर बताने वाले लालू प्रसाद यादव हैं।
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नीतीश की हर चाल पर लालू का बैकअप
राजनीतिक घटनाक्रमों पर गौर करें तो ये प्रतीत होता है कि विपक्षी एकता के मुहीम में नीतीश कुमार को लालू यादव का बैकअप मिला है। जहां कहीं भी नीतीश लड़खड़ा रहे हैं वहां लालू यादव उन्हें संभालने के लिए खड़े हो जा रहे हैं। जब भी नीतीश कुमार विपक्षी दलों के नेताओं से मिलने जाते हैं उससे पहले वो लालू यादव से मुलाकात करते हैं। पिछले साल जब नीतीश कुमार पहली बार विपक्षी एकता के मुहीम को शुरू किया।
उस वक्त कई विपक्षी दल के नेता सीधे तौर पर नीतीश कुमार से मुलाकत करने से बचने की कोशिश की लेकिन फिर लालू यादव के कारण मुलाकात हो पाई। इसका प्रमाण कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से हुई मुलाकात भी है। जिसमें नीतीश के साथ लालू यादव को भी जाना पड़ा था। इस बार भी जब नीतीश कुमार दिल्ली दौरे पर गए तब भी उन्होंने सबसे पहले लालू यादव से ही मुलाकात की उसके बाद ही अन्य दलों के नेता से मिले।
नीतीश के मिशन 2.O में तेजस्वी का साथ
नीतीश कुमार ने पिछले साल सितंबर महीने में भी विपक्षी दलों के नेताओं से मिलने के लिए दिल्ली गए थे। हालांकि उनकी पहली वाली मुलाकात का कुछ खास असर होता हुआ नहीं दिखा। इसबार फिर से नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता मिशन 2.O की शुरुआत कर दी है। पहले की मुलाकातों और अबकी बार की मुलाकातों में एक खास बादलाव देखने को मिल रहा है। इसबार तेजस्वी यादव भी नीतीश कुमार के साथ दिख रहे हैं। इसके पीछे भी लालू यादव की नीति मानी जा रही है।
जहां नहीं बनी बात वहां लालू की एंट्री
नीतीश कुमार जहां कहीं भी बात नहीं बन रही है वहां लालू यादव मोर्चा संभाल रहे हैं। एक ताजा तस्वीर सामने आई है जिसमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, लालू यादव दिख रहे हैं। जिसे लेकर कई तरह के सियासी अटकलें लगाए जा रहे हैं। दरअसल कुछ दिनों पहले नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव से मिले थे। उसके बाद अखिलेश का अचानक से लालू यादव से मिलना ऐसा लग रहा जैसे नीतीश से अखिलेश की बात नहीं बनी है और अब वो अपनी बातों को लेकर लालू यादव से मिले हैं। हालांकि लालू यादव से मुलाकात को ‘कुशलक्षेम-मुलाक़ात’ बताया गया है।