लोकसभा लालू यादव के लिए नई नहीं है। 1977 में महज 29 साल में पहली बार सांसद बने लालू यादव के नाम सबसे युवा सांसद होने का रिकॉर्ड भी है। 1973 तक लालू यादव पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष थे और चार सालों में वे लोकसभा सदस्य बन गए। 7 सालों तक बिहार के मुख्यमंत्री बने लालू यादव केंद्रीय मंत्री पांच साल ही रह सके। इसके बाद आखिरी चुनाव 2009 में लड़ा। तब वे सारण सीट से जीते और पाटलिपुत्र सीट से हारे थे। लेकिन लोकसभा चुनाव में लालू का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2004 में था। बिहार की 40 में से 22 सीटों पर लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को जीत मिली थी। लेकिन उसके बाद हालात ऐसे बदले कि 2019 में राजद शून्य पर पहुंच गई। कह सकते हैं कि लालू लोकसभा चुनावों में असरदार नहीं रहे। तेजस्वी यादव के सामने भी कुछ ऐसे ही हालात लगातार बन रहे हैं। सवाल उठता है कि तेजस्वी यादव का क्या होगा?
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2004 के बाद दहाई अंकों तक नहीं पहुंच सके लालू यादव
लालू यादव ने 1997 में राजद की स्थापना की। 2004 में राजद ने केंद्र से अटल बिहारी वाजपेयी के सरकार की विदाई में महत्वपूर्ण रोल निभाया था। 2004 में राजद ने 22 सीटें बिहार में जीती थी। इसमें सारण और मधेपुरा दोनों सीटों पर खुद लालू यादव ने चुनाव लड़ा और जीता था। जबकि 1999 में बिहार (संयुक्त बिहार) में भी राजद के पास 07 सीटें ही थी। इसमें लालू मधेपुरा से पहली बार चुनाव हार गए थे। 2004 में बड़ी जीत के बाद से लालू यादव और राजद के लिए हालात बदल गए। 2009 में लालू यादव की पार्टी राजद को सिर्फ 04 सीटें ही मिलीं। खुद लालू यादव दो सीटों पर चुनाव लड़े और एक सीट पाटलिपुत्र से हार गए। तब से अब तक राजद के पास लोकसभा में कभी दहाई अंकों में सांसद नहीं रहे।
2014 में नहीं बदले हालात, 2019 में बदतर हो गए
राजद के लिए 2009 के चुनाव में जैसे हालात थे, 2014 में भी कमोबेश वही स्थिति रही। दोनों चुनावों के बीच लालू यादव सजायाफ्ता होकर चुनावी राजनीति से बाहर हो गए। जबकि उनकी पार्टी 2009 में भी 04 सीटों पर जीती और 2014 में भी राजद को 04 ही सीटें मिलीं। जबकि उस चुनाव में राजद ने 27 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लालू यादव के जेल जाने के बाद पार्टी पर तेजस्वी यादव का नियंत्रण आ चुका था। लेकिन 2019 में लालू यादव की पार्टी राजद अपने सबसे खराब दौर तक पहुंच गई। राजद कोई सीट नहीं जीत सकी। यह तेजस्वी यादव की पहली और सबसे बड़ी हार थी। इस चुनाव में लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती लगातार दूसरी बार पाटलिपुत्र सीट से चुनाव हारीं। इस चुनाव में राजद के टिकट पर कई दिग्गज नेता हारे। इनमें मीसा भारती के अलावा शरद यादव, अब्दुल बारी सिद्दीकी, रघुवंश प्रसाद सिंह, चंद्रिका राय, जयप्रकाश नारायण यादव, जगदानंद सिंह और सुरेंद्र प्रसाद यादव जैसे नेता शामिल रहे।
विधानसभा में तेजस्वी किंग, लोकसभा में फ्लॉप
2019 की लोकसभा चुनाव में राजद की हार ने तेजस्वी यादव को फ्लॉप नेता का दाग लग गया। 2015 के विधानसभा चुनाव में भी लालू यादव चुनावी राजनीति से बाहर हो गए थे। लेकिन तेजस्वी यादव का फेस इस चुनाव में उभरा और राजद एक बार फिर राज्य में सबसे अधिक विधायकों वाली पार्टी बन गई। हालांकि सरकार बनने के बाद भी बीच में ही गिर गई। लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में भी तेजस्वी यादव ने प्रदर्शन दुहराया और सरकार बनाने से चूकने के बाद भी सबसे अधिक विधायकों वाली पार्टी का सेहरा अपने सिर ही रखा। लेकिन लोकसभा चुनावों में तेजस्वी यादव की फ्लॉप नेता वाली इमेज अब भी बरकरार है। 2024 के लोकसभा चुनाव में कोई भी दल किसी ओर से लड़े, राजद, तेजस्वी यादव और लालू यादव की बड़ी टेंशन यही है कि वे अपनी पार्टी और तेजस्वी के दामन से फ्लॉप वाला धब्बा मिटाएं।