लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने बिहार में अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। भाजपा को 17 सीटें लड़नी हैं, इसमें सभी सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा हो गई है। भाजपा उम्मीदवारों की सूची में बड़ा बदलाव बक्सर सीट पर आया, जहां से केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का टिकट कट गया। इस सीट पर मिथिलेश तिवारी को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। मिथिलेश तिवारी की उम्मीदवारी न सिर्फ उनका प्रमोशन है बल्कि जदयू के नेता मंजीत सिंह के लिए खुशखबरी से कम नहीं है। मंजीत सिंह और मिथिलेश तिवारी दोनों गोपालगंज की बैकुंठपुर सीट से विधायक रहे हैं लेकिन दोनों को हरा कर अभी राजद के प्रेमशंकर यादव बैकुंठपुर से विधायक हैं।
मिथिलेश तिवारी के बक्सर जाने से खाली होगी बैकुंठपुर सीट?
दरअसल, मिथिलेश तिवारी अगर बक्सर से लोकसभा चुनाव जीत जाते हैं तो वे बैकुंठपुर से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। बैकुंठपुर विधानसभा से मिथिलेश तिवारी ने दो बार चुनाव लड़ा है। इसमें 2015 में मिथिलेश तिवारी ने दो बार लगातार विधायक रहे जदयू के मंजीत सिंह को हराया था। लेकिन 2020 में एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर मिथिलेश को मौका मिला तो मंजीत निर्दलीय चुनाव में उतर गए। मंजीत उस चुनाव में जीत तो नहीं पाए लेकिन मिथिलेश तिवारी की हार का कारण जरुर बन गए। अब मिथिलेश तिवारी के बक्सर शिफ्ट हो जाने के बाद बैकुंठपुर सीट पर मंजीत सिंह के लिए एनडीए उम्मीदवार के तौर पर खुला मैदान मिल सकता है।
चार बार विधानसभा चुनाव लड़े मंजीत, दो बार हारे हैं
मंजीत सिंह ने पहली बार जदयू के टिकट पर एनडीए उम्मीदवार के रूप में गोपालगंज की बैकुंठपुर विधानसभा सीट से 2005 में चुनाव लड़ा था। वे जीते थे। इसके बाद 2010 में भी मंजीत सिंह जीते। लेकिन 2015 में जदयू के एनडीए से अलग होने के बाद महागठबंधन के रूप में बैकुंठपुर से तीसरी बार लड़े मंजीत सिंह को हार नसीब हुई। उसमें मिथिलेश तिवारी पहली बार बैकुंठपुर से जीते। इसके बाद 2020 में जदयू वापस एनडीए में आ गई लेकिन बैकुंठपुर सीट भाजपा के खाते में ही रही। तब मंजीत सिंह ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा। लेकिन हार गए। अब मिथिलेश तिवारी के बक्सर चुनाव जीतने की सूरत में मंजीत सिंह के लिए बैकुंठपुर विधानसभा में आपसी टकराव की संभावना कम रहेगी। हालांकि 2025 में विधानसभा चुनाव होना है और तब तक क्या होगा, अभी इसकी कल्पना मुश्किल है।