लोकसभा चुनाव 2024 में लालू परिवार के दो सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं। लालू यादव के परिवार में पुरुष सदस्यों का तो चुनावी रिकॉर्ड ठीक है लेकिन महिलाओं का रिकॉर्ड खास नहीं है। पत्नी राबड़ी देवी विधानसभा और लोकसभा चुनाव दोनों हारी हैं। बड़ी बेटी मीसा पिछले दो लोकसभा चुनाव हारी हैं। इस बार मीसा के साथ रोहिणी भी अपने पहले चुनाव में हैं। तो लालू यादव ने बेटियों को चुनाव जिताने के लिए हर मुमकिन कोशिश की है।
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लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती तीसरी बार पाटलिपुत्र सीट से रामकृपाल यादव से आमने-सामने हैं। रामकृपाल यादव ने पिछले दो चुनाव में मीसा भारती को हराया है लेकिन वो हार हर बार 50 हजार से भी कम वोटों की रही है। इसलिए लालू ने इस बार उन्हें आखिरी चुनाव में उसी पाटलिपुत्र सीट से हराने वाले रंजन यादव को राजद में मिला लिया है। 2009 में रंजन यादव ने लालू यादव को पाटलिपुत्र सीट से हराया था।
2009 में लालू यादव को 23 हजार से अधिक वोटों से हराने वाले रंजन यादव 2014 में भी चुनावी मैदान में उतरे थे। लेकिन तब उन्हें 97 हजार वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे। हालांकि उस चुनाव में रामकृपाल ने मीसा को 40 हजार वोटों से हरा दिया। 2019 में रंजन यादव भी नहीं लड़े, मीसा फिर भी 39 हजार से अधिक वोटों से हारीं। लेकिन इस बार लालू यादव ने रंजन को मीसा के पक्ष में उतार कर रिस्क फैक्टर कम करने की कोशिश की है।
वहीं दूसरी ओर रोहिणी आचार्य को लालू यादव ने उस सीट से उतारा है, जहां से लालू कभी नहीं हारे। लेकिन यह भी सत्य है कि लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी उस सीट से हार चुकी हैं। उनके समधी चंद्रिका राय भी हार चुके हैं। लेकिन इस बार चंद्रिका राय भाजपा के प्रत्याशी के प्रचार में जुटे हैं। तो लालू यादव ने इस बार जातीय समीकरण को सारण में साधने की अलग ही कोशिश की है। यादव और मुसलमान के साथ भूमिहार का वोट लेने के लिए लालू यादव ने महाराजगंज से भूमिहार कैंडिडेट महागठबंधन की ओर से उतारा है।
मीसा और रोहिणी की पहली चुनावी जीत सुनिश्चित करने के लिए लालू यादव ने जो चक्रव्यूह रचा है, उसका कितना लाभ मिलेगा, यह आने वाले दो चरणों के चुनाव में जनता के रूख से पता चलेगा।