राजद ने पहले फेज के उम्मीदवारों का नाम लगभग तय कर लिया है। कुछ को तो सिम्बल भी दे दिया गया है। बिहार में पहले फेज में चार सीटों पर चुनाव होना है। इसमें एनडीए की बात करें तो दो सीटों नवादा और औरंगाबाद में भाजपा के उम्मीदवार उतरेंगे। एक सीट जमुई पर चिराग पासवान की पार्टी का उम्मीदवार होगा। तो गया में हम सेक्युलर के उम्मीदवार के रूप में खुद पूर्व सीएम जीतन राम मांझी होंगे। लेकिन महागठबंधन यानि INDI गठबंधन की ओर से इन चारों सीटों पर राजद के ही उम्मीदवार होंगे।
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पिछले तीन चुनावों का रिकॉर्ड देखें तो ये चारों सीटें राजद के लिए आसान नहीं रही है। जमुई में 2009 से 2019 तक के तीनों चुनाव एनडीए ने जीते हैं। इसमें 2014 और 2019 में तो एनडीए उम्मीदवार के तौर पर चिराग पासवान मैदान में थे। 2014 का चुनाव चिराग पासवान ने 85,947 वोट से जीता था तो 2019 का चुनाव चिराग ने 2,41,049 वोट से जीता। इस बार राजद ने यहां से अर्चना रविदास को उम्मीदवार बनाया है। जबकि चिराग की पार्टी की ओर से उम्मीदवार अरुण भारती होंगे।
वहीं नवादा सीट की बात करें तो यहां भी राजद के लिए मुश्किलों का पहाड़ है। नवादा में राजद का आखिरी उम्मीदवार 2004 में जीता था, तब पार्टी सरकार में थी। इसके बाद 2009 और 2014 में भाजपा की ओर से क्रमश: भोला सिंह और गिरिराज सिंह जीते। 2019 में एनडीए की ओर से चंदन सिंह जीते। इस बार भाजपा के उम्मीदवार विवेक ठाकुर होंगे। जबकि राजद ने श्रवण कुमार को उतारने का निर्णय लिया है। 2019 के चुनाव में राजद उम्मीदवार 1.48 लाख वोट से हारीं थीं। तो 2014 में राजद उम्मीदवार राजवल्लभ प्रसाद 1.40 लाख वोट से हारे थे।
गया सीट भी राजद के लिए आसान नहीं रही है। 1999 में भाजपा के रामजी मांझी गया लोकसभा से जीते थे। इसके बाद 2004 में राजद के राजेश कुमार मांझी ने जीत दर्ज की। 2009 और 2014 में भाजपा के हरि मांझी को जीत मिली। तो 2019 में जदयू के विजय मांझी सांसद बने। इसमें 2004 छोड़ दें तो पांच में से चार चुनाव एनडीए के उम्मीदवार जीते हैं। 2014 के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार 1.15 लाख से जीता जबकि 2019 में एनडीए उम्मीदवार की जीत 1.52 लाख से हुई थी।
औरंगाबाद सीट ऐसी है, जिस पर राजद का उम्मीदवार कम ही रहा है। यहां से राजद की कभी जीत नहीं हुई है। लेकिन 2024 में राजद ने औरंगाबाद से उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। इसकी बागडोर अभय कुशवाहा को दी जा रही है। पिछले तीन चुनावों से सुशील कुमार सिंह ही लगातार जीतते रहे हैं। इसमें 2009 में सुशील कुमार सिंह जदयू के उम्मीदवार थे तो 2014 और 2019 में सुशील कुमार सिंह भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर जीते हैं। इस बार भी भाजपा उन्हें ही उम्मीदवार बना रही है।