लोकसभा चुनाव के सात चरणों में से दो पूरा हो चुका है। बाकी बचे पांच चरणों के लिए सभी उम्मीदवार, गठबंधन पूरा जोर लगा रहे हैं। अब तक हो चुके दोनों चरण के चुनाव में वोटिंग परसेंटेज से लेकर मतदाताओं के रुझान तक के हिसाब से आंकलन किया जा रहा है। एनडीए अपनी जीत के दावे को और पुख्ता बता रहा है। तो इंडी गठबंधन यह कहने लगा है कि मोदी सरकार की विदाई तय है। इसी बीच राजद सुप्रीमो लालू यादव के खास और उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि मोदी-शाह को लोकसभा चुनाव में उनकी हार दिखने लगी। शिवानंद तिवारी ने उनकी मोदी-शाह के बयानों का जिक्र करते हुए यह दावा किया है कि दोनों को अपनी हार समझ में आ चुकी है।
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शिवानंद तिवारी ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा है, इसमें यह दावा किया है कि मोदी सरकार जा रही है। शिवानंद ने कहा है कि “यह चुनाव मोदी जी की राजनीति का उपसंहार है। यह लोकतंत्र के लिए शुभ होगा। अपने पोस्ट में भाजपा पर व्यक्तिवादी होने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने कहा कि “मोदी की गारंटी और मोदी है तो मुमकिन का नारा तो मोदी जी स्वयं लगवाते हैं। लेकिन अब मोदी जी स्वयं महसूस कर रहे हैं कि यह चुनाव उनके अति व्यक्तिवादी राजनीति का उपसंहार है। भारतीय लोकतंत्र के लिए शुभ होने का यह संकेत है।”
आप भी पढ़िए शिवानंद तिवारी का पूरा पोस्ट
“यह चुनाव मोदी जी की राजनीति का उपसंहार है. यह लोकतंत्र के लिए शुभ होगा.
प्रधानमंत्री जी धीरे-धीरे इंडिया गठबंधन की जीत की संभावना देखने लगे हैं. प्रधानमंत्री कौन होगा ! गठबंधन की सरकार में स्थिरता नहीं होगी. मोदी जी मतदाताओं को डरा रहे हैं. पाँच साल में पाँच प्रधानमंत्री होंगे. अमित शाह पूछ रहे हैं कि इंडिया का प्रधानमंत्री कौन होगा. दोनों के सवालों से ही स्पष्ट है कि उन्हें अपनी हार और गठबंधन की जीत की संभावना दिखने लगी है. जब मोदी जी पाँच साल में पाँच प्रधानमंत्री की बात कह रहे हैं. यह तो अनजाने में मोदी जी गठबंधन की प्रशंसा कर रहे हैं. प्रमाण दे रहे हैं कि गठबंधन में पाँच ऐसे नेता हैं जो प्रधानमंत्री बनने की क़ाबिलियत रखते हैं. मोदी जी ने भाजपा की जो हालत बना दी है वह हालत गठबंधन की नहीं है. यहाँ सब का क़द बराबर है.
मोदी जी तो भाजपा के लिए अकेले भगवान स्वरूप हैं. पंचायतों से लेकर दिल्ली तक का चुनाव भाजपा मोदी जी का चेहरा लगाकर लड़ती है. बिहार सहित अन्य राज्यों में क्या हो रहा है ! वोट पार्टी के लिए नहीं मोदी जी के लिए माँगा जा रहा है. मोदी जी भारतीय राजनीति के इतिहास में अनूठे उदाहरण हैं. पार्टी में कोई और नहीं उभर जाए इस पर बराबर उनकी नज़र रहती है. लोकप्रिय नितिन गड़करी इसके उदाहरण हैं. पहली लिस्ट में उनका नाम नहीं था. उसके बाद वे दौड़े दौड़े मोदी जी से मिलने हवाई अड्डा पर पहुँचे. तब जाकर गर्दन बची और टिकट मिला.
संपूर्ण भाजपा एक व्यक्ति पर आश्रित हो गई है. ‘मोदी की गारंटी’ और ‘मोदी है तो मुमकिन ‘ यह नारा तो मोदी जी स्वयं लगवाते हैं. लेकिन अब मोदी जी स्वयं महसूस कर रहे हैं यह चुनाव उनके अति व्यक्तिवादी राजनीति का उपसंहार है. भारतीय लोकतंत्र के लिए शुभ होने का यह संकेत है. शिवानन्द”