लोकसभा चुनाव के तीसरे फेज में बिहार की पांच सीटों पर मतदान होना है। 07 मई को मतदान होना है, जिसमें झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा और खड़िया शामिल है। वैसे तो इन पांचों सीटों पर 2019 का चुनाव एनडीए ने जीता था। लेकिन बीते तीन चुनावों की बात करें तो महागठबंधन यानि इंडी गठबंधन के लिए उम्मीदें पूरी तरह धराशायी नहीं हैं। हालांकि तीन चुनावों में एनडीए का रिकॉर्ड 73 फीसदी जीत का है। जबकि महागठबंधन के हिस्से जीत एक-चौथाई ही रही है।
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झंझारपुर : यह सीट पिछले 3 चुनावों में पूरी तरह एनडीए की रही है। दो बार इस बार जदयू ने जीत दर्ज की है और एक बार भाजपा के उम्मीदवार ने। जदयू एनडीए में रही या नहीं, जीता एनडीए का ही उम्मीदवार है। जदयू ने इस बार भी रामप्रीत मंडल को टिकट दिया है। जबकि इंडी गठबंधन से सुमन कुमार महासेठ वीआईपी के टिकट पर उम्मीदवार हैं। तो राजद की ओर से इस सीट पर पिछला चुनाव हारे गुलाब यादव इस बार बसपा के टिकट पर मैदान में हैं।
सुपौल : यहां पिछले 3 चुनावों में दो बार एनडीए की ओर से जदयू ने जीत दर्ज की है। जबकि 2014 में जदयू के अलग होने का खामियाजा इस सीट पर एनडीए को उठाना पड़ा था। तब कांग्रेस उम्मीदवार यहां से जीते थे। लेकिन 2019 में जदयू की एनडीए में वापसी ने सीट को भी एनडीए के खाते में डाल दिया। इस बार भी जदयू ने 2019 के जीते उम्मीदवार दिलेश्वर कामत को मैदान में उतारा है। जबकि राजद ने यह सीट कांग्रेस से छीनकर चंद्रहास चौपाल को उम्मीदवार बनाया है।
अररिया : तीसरे चरण की पांचों सीटों में अररिया ही एकमात्र सीट हैं, जहां पिछले तीन चुनावों में दो जीत महागठबंधन के उम्मीदवार को नसीब हुई है। तीन चुनावों में 2009 और 2014 का चुनाव राजद ने जीता। लेकिन 2019 में यहां भाजपा की एंट्री हो गई। भाजपा ने अररिया पर कब्जा दिलाने वाले प्रदीप सिंह को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है। जबकि राजद ने 2019 में हारे सरफराज को बेटिकट कर उनके भाई शाहनवाज को उम्मीदवार बनाया है।
खगड़िया : झंझारपुर की तरह खगड़िया भी महागठबंधन के लिए पिछले तीन चुनावों में अबूझ पहेली ही है। तीनों बार एनडीए उम्मीदवार जीते हैं। 2009 में जदयू ने यह सीट जीती थी तो 2014 और 2019 में लोजपा ने। एनडीए की ओर से लोजपा रामविलास ने इस बार उम्मीदवार बदल दिया है और राजेश वर्मा को टिकट दिया है। तो पिछले दो चुनावों में जीते महबूब अली कैसर राजद के साथ हो गए हैं। हालांकि वे चुनाव लड़ नहीं रहे हैं। महागठबंधन की ओर से सीपीआईएम के संजय कुमार उम्मीदवार हैं।
मधेपुरा : बिहार की वो सीट जहां से राज्य के सभी बड़े यादव नेताओं ने भाग्य आजमाया है। लालू यादव, शरद यादव, पप्पू यादव सब यहां चुनाव लड़े, जीते और हारे भी हैं। पिछले तीन चुनावों में ट्रेंड एक बार एनडीए, दूसरी बार महागठबंधन का रहा है। 2009 में जदयू यहां से जीती। 2014 में जदयू एनडीए से बाहर थी तो राजद जीता। 2019 में फिर यह सीट जदयू के साथ एनडीए में वापस आ गई। 2024 में भी यहां से जदयू सांसद दिनेश चंद्र यादव उम्मीदवार हैं। जबकि राजद ने इस बार कुमार चंद्रदीप को मौका दिया है।