लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया जब से शुरू हुई है, तब से यही चर्चा है कि किस गठबंधन को किस राज्य में कितनी सीटें मिल सकती हैं। वोटिंग के परसेंटेज के गिरने-बढ़ने का असर भी सीटों के हिसाब-किताब में उलटफेर कर रहा है। लेकिन राजनीति रणनीतिकार के रूप में 10 साल पहले पहचान बनाने वाले प्रशांत किशोर ने अपना आंकलन फिट कर लिया है। एक इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि सरकार के खिलाफ कोई व्यापक गुस्सा नहीं है। प्रशांत किशोर ने कहा कि सरकार के खिलाफ आकांक्षाएं अधूरी रह सकती हैं लेकिन व्यापक गुस्सा नहीं है।
लोकसभा चुनाव के बीच राहुल गांधी को झटका, इस मामले में कोर्ट ने भेजा समन
2024 में हो रही है NDA की वापसी : प्रशांत किशोर
इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा है कि इसमें कोई दिक्कत नहीं दिख रही कि एनडीए की 2024 में वापसी हो रही है। प्रशांत ने कहा कि भाजपा के की सीटों की संख्या 2019 की तरह ही हो सकती है। यानि 303 सीटों के करीब या उससे भी अधिक भाजपा की सीटें हो सकती हैं। भाजपा की जीत की संभावनाओं का आधार प्रशांत किशोर ने बताया कि भाजपा सरकार को लेकर न तो कोई खास असंतोष है और न ही किसी दूसरे विकल्प की कोई मांग हो रही है।
NDTV के साथ इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा कि “हमें बुनियादी बातों पर गौर करना चाहिए। अगर मौजूदा सरकार और उसके नेता के खिलाफ गुस्सा है, तो भी संभावना है कि कोई विकल्प न होने की वजह से लोग उन्हें वोट देने का फैसला कर सकते हैं।” प्रशांत किशोर का यह इंटरव्यू ऐसे वक्त में सामने आया है जब लोकसभा चुनाव के पांच चरणों का मतदान पूरा हो चुका है और दो चरणों का मतदान होना शेष है। विकल्प नहीं होने वाली प्रशांत किशोर की बात विपक्ष के लिए निराशा भरी हो सकती है जबकि सरकार बनाने की संभावना एनडीए नेताओं को खुशी दे सकती है।
हालांकि 370 और 400 सीटों के पार के भाजपा व एनडीए नेताओं के दावे पर प्रशांत किशोर ने साफ कहा कि यह संभव होता नहीं दिखता। प्रशांत ने इस बारे में कहा कि “अगर 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें, तो चुनावी पंडितों ने भविष्यवाणी की थी कि BJP को 272 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी। इस बार BJP के हक में भविष्यवाणी हो रही है। भाजपा ने सीटों के लक्ष्य को 272 सीटों से हटाकर 370 कर दिया है। उनकी रणनीति की वजह से ही ज्यादातर रणनीतिकार बीजेपी की जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं।”
आपको बता दें कि 2014 में भाजपा के लिए रणनीति बनाकर सुर्खियों में आए प्रशांत किशोर के नाम कई बार चुनाव जितवाने में भूमिका निभाने का श्रेय है। इसमें 2014 के लोकसभा चुनाव के अलावा 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव, 2017 का पंजाब विधानसभा चुनाव, 2019 का आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2020 का दिल्ली विधानसभा चुनाव, 2021 का पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव, 2021 में ही तमिलनाडु विधानसभा चुनाव, 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव ऐसे चुनाव रहे हैं, जिसमें प्रशांत किशोर ने जिस पार्टी के लिए काम किया, उसे ही जीत मिली थी।