बिहार की सारण लोकसभा (Saran Loksabha) सीट ऐसी है कि कभी इसे राजद का गढ़ कहा जाता था। लालू यादव खुद यहां से चुनाव लड़े, जीते, केंद्र में मंत्री भी बने। लेकिन पिछले दो चुनावों से लगातार यहां भगवा लहरा रहा है और वो भी राजीव प्रताप रुडी लहरा रहे हैं। लालू यादव को सारण में कभी भी राजीव प्रताप रुडी हरा नहीं सके। लेकिन लालू के अलावा लालू परिवार का कोई सदस्य राजीव प्रताप रुडी को सारण में रोक भी नहीं पाया है। इस बार यह सीट चर्चा में है क्योंकि यहां से लालू-राबड़ी की बेटी रोहिणी आचार्य के चुनाव लड़ने की चर्चा है। लालू से हारने और राबड़ी को हराने वाले राजीव प्रताप रुडी भी अगर भाजपा के उम्मीदवार बनते हैं तो रोहिणी को पिता की तरह जीत मिलेगी या मां की तरह हार, यह देखना दिलचस्प होगा।
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सारण में लालू पास, परिवार फेल
सारण लोकसभा (Saran Loksabha) का इतिहास ऐसा रहा है कि यहां लालू तो पास होते रहे हैं लेकिन लालू परिवार फेल साबित हुआ है। 2008 में सारण लोकसभा सीट अस्तित्व में आई। इसके बाद के तीन चुनावों में से एक बार लालू लड़े और जीते। यह बात 2009 की है। इसके बाद 2014 में इस सीट से राबड़ी देवी लड़ीं लेकिन हारीं। इसके बाद 2019 में चंद्रिका राय लड़े, जो उस वक्त लालू यादव के रिश्तेदार थे, वो भी हारे। लालू 2009 का चुनाव 51 हजार वोटों से जीते थे। तो राबड़ी देवी 2014 का चुनाव 40 हजार वोटों से हारीं। चंद्रिका राय तो 1.38 लाख वोटों से हारे। अब रोहिणी आचार्या इस सीट से दावां ठोकेंगी तो देखना होगा कि वे कितना बदलाव ला पाती हैं।
लालू ने Saran Loksabha से जीता था पहला चुनाव
वैसे Saran Loksabha सीट का इतिहास लालू यादव के लिए खास है। 2008 के पहले तक यह सीट छपरा लोकसभा के नाम से जानी जाती थी। इसी सीट से 1977 में लड़कर लालू यादव पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। तब लालू यादव जनता दल के नेता थे। इसके बाद 1989 और 2004 में भी लालू यादव छपरा लोकसभा सीट से चुनाव जीतते रहे। 2004 में तो लालू यादव केंद्र में रेल मंत्री भी बने थे। दूसरी ओर राजीव प्रताप रुडी भी छपरा सीट के पुराने खिलाड़ी रहे हैं। रुडी ने 1996 और 1999 में दो बार छपरा सीट से जीत दर्ज की थी। 1999 में जीते रुडी को वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया था। सारण सीट बनने के बाद हुए तीन चुनावों में से दो में रुडी जीते हैं।