लालू यादव और शरद यादव की जोड़ी पुरानी है। दोनों जब राजनीति में युवा थे तो साथ थे। बाद में अलग रहे। फिर एक साथ भी आए। अपनी मौत के कुछ माह पहले तो शरद यादव ने अपनी पार्टी का विलय ही राजद में कर दिया। लेकिन शरद यादव का समर्पण उनके बेटे शांतनु के काम नहीं आया। लोकसभा चुनाव 2024 में लालू यादव की दो बेटियों को राजद ने बिहार की सारण और पाटलिपुत्र से टिकट तो दे दिया। लेकिन शरद के बेटे शांतनु बेटिकट रह गए।
कभी RJD के दिग्गज को हराने तक पहुंचने से चूके थे, अब राजद ने ही दिया टिकट
मधेपुरा से टिकट चाहते थे शांतनु
शरद यादव के बेटे शांतनु चाहते थे कि वे अपने पिता की उस मधेपुरा से लोकसभा चुनाव लड़ें, जहां से वे चार बार सांसद रहे थे। शरद यादव ने मधेपुरा से ही लालू यादव को भी हराया था। लेकिन शांतनु की ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी और राजद ने कुमार चंद्रदीप को मधेपुरा सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया।
उम्मीदवार घोषित होने के बाद शांतनु ने खुलकर तो कुछ भी नहीं कहा, लेकिन इशारों में ही उन्होंने अपना दर्द बयां किया। शांतनु ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि “सिर से पिता का साया हट जाना जीवन का सबसे कष्टदायी क्षण होता है।” संभवत: शांतनु इस पोस्ट के जरिए यह बताना चाहते हैं कि उनके पिता के नहीं रहने के बाद पार्टी ने उन्हें तवज्जो नहीं दी।
2019 का चुनाव लड़े थे शरद यादव
शरद यादव का निधन जनवरी 2023 में हुआ। इससे पहले 2019 में उन्होंने अपना आखिरी चुनाव लड़ा था। तब वे मधेपुरा से ही उम्मीदवार बनाए गए थे। हालांकि उन्हें हार ही मिली थी।