लोकसभा चुनाव का तीसरा चरण अब शुरू हो रहा है। इस चरण में 7 मई को देश की 94 सीटों पर चुनाव होना है। इसमें सबसे अधिक गुजरात की 25 सीटें शामिल हैं। इसके बाद महाराष्ट्र की 11, उत्तर प्रदेश की 10 और कर्नाटक व मध्यप्रदेश की 9-9 सीटों पर भी चुनाव इसी फेज में होना है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ की 7, बिहार की 5, असम व पश्चिम बंगाल की 4-4, गोवा की 2 सीटों पर चुनाव होगा। साथ ही दादर-नगर हवेली, दमन दीव और जम्मू-कश्मीर की एक-एक सीट पर भी चुनाव इसी फेज में होना है। वैसे तो इलेक्शन का हर फेज महत्वपूर्ण है लेकिन इस फेज में ही बहुत कुछ तय हो जाना है। इसी फेज में सत्ता बचाने का आधार बन सकता है, तो फिर इसी फेज में सत्ता के पांव तले की जमीन भी खिसक सकती है। यूं कहें तो लोकसभा चुनाव का तीसरा चरण उम्मीद और डर का कॉकटेल है।
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2019 के नतीजों के आइने में अगर लोकसभा चुनाव का तीसरा चरण देखें, तो भाजपा इनमें से 72 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। यही कारण है कि भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव का तीसरा चरण उम्मीद और डर का कॉकटेल है। 72 जीती सीटों में से खोना भाजपा को सत्ता से दूर ले जा सकता है तो इन मजबूत सीटों को बरकरार रखते हुए सीटों की संख्या को बढ़ाना उसे सत्ता के करीब ले जाएगा। दूसरी ओर कांग्रेस को भी इस चरण से उम्मीदें खूब हैं। कारण कि पिछले चुनाव में कांग्रेस को इस चरण की सीटों में से सिर्फ 4 सीटें मिली थीं। 2009 में इन सीटों में से कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं तो 2014 में 09 और 2019 में 04 सीटें ही मिल सकीं। कांग्रेस ने इस बार मेहनत की है और उसे भाजपा के साथ एंटी इन्कम्बेंसी का भी भरोसा है तो कांग्रेस को उम्मीद है कि उसकी सीटें बढ़ेंगी। तो दूसरी ओर कांग्रेस का यह डर भी है वाजिब है कि कहीं पिछले तीन चुनावों से चला आ रहा ट्रेंड इस बार भी बरकरार रहा तो कांग्रेस की लुटिया डूब सकती है।
भाजपा का सबसे मजबूत किला लोकसभा चुनाव का तीसरा चरण
लोकसभा चुनाव का तीसरा चरण भाजपा के लिहाज से सबसे मजबूत है। राज्यवार सीटों की बात करें तो इस फेज में सबसे अधिक गुजरात की 25 सीटें शामिल हैं। इन सभी सीटों पर भाजपा पिछले दो चुनाव में हर सीट जीती है। किसी विरोधी दल का कोई उम्मीदवार नहीं जीता है। इस फेज में आने वाली कर्नाटक की 14 सीटों पर पिछले चुनाव में भाजपा का ही कब्जा रहा था। 2019 में छत्तीसगढ़ में भाजपा ने 7 में से 6 सीटें जीती थी। जबकि यूपी की 10 सीटों में पिछले चुनाव भाजपा के खाते में 8 सीटें आई थी। बिहार की पांचों सीटें एनडीए के पास ही थीं। असम की भी चार में से ती सीट एनडीए के पास ही पिछले चुनाव में आई थी।