अगले लोकसभा चुनाव का काउंटडाउन तो शुरू हो चुका है। अब एक साल से भी कम का वक्त रह गया है। अगले चुनाव में बिहार की राजनीति देश को प्रभावित करने की दिशा में बढ़ रही है। भाजपा के नेतृत्व को बिहार से टक्कर मिलने की संभावनाओं की चर्चा है। बिहार चौथा राज्य है, जहां से सबसे अधिक सीटें लोकसभा की हैं। बिहार की 40 सीटों से अधिक सिर्फ यूपी में 80, महाराष्ट्र में 48 और पश्चिम बंगाल में 42 सीटें हैं। ऐसे में बिहार की हर सीट महत्वपूर्ण हैं। पहले बात करते हैं सीट नंबर 1 यानि वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र की। इस सीट पर स्थिति यह है कि जदयू के नाम अधिक चुनावों में जीत दर्ज है लेकिन मौजूदा हालात में जदयू के चुनाव जीतने वाले उस योद्धा का निधन हो चुका है। जबकि भाजपा ने एक ही बार इस सीट से चुनाव लड़ा है लेकिन उसे भी जीता ही था।
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वाल्मीकि नगर का पांचवा चुनाव
यह सीट 2009 में अस्तित्व में आई। इससे पहले इसे बगहा सीट के नाम से जाना जाता था जो अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व थी। अब सामान्य सीट है। इस सीट में कई ऐसे इंटरेस्टिंग फैक्ट्स हैं, जो चौंकाने वाले हैं। इस सीट पर अब तक हुए चार चुनावों में तीन बार जदयू के टिकट पर लड़े उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। तो एक बार जीत भाजपा के उम्मीदवार को मिली है। राजद, कांग्रेस या किसी भी दूसरे दल के किसी उम्मीदवार को कभी यहां से जीत नहीं मिली है। अब तक हुए चार चुनाव में एक उपचुनाव भी शामिल है, जिसमें जदयू के ही उम्मीदवार को जीत मिली थी।
दिल खोल कर दिया वोट
2009 से लेकर 2019 तक हुए तीनों चुनावों का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो वाल्मीकि नगर के जनता की खासियत है कि उसने जब भी किसी उम्मीदवार को पसंद किया है, उसे दिल खोल कर वोट दिया है। तीनों चुनावों में जीत का मार्जिन एक लाख वोटों से अधिक रहा है। 2019 में तो 3,54,616 वोट रहा था। तब जदयू के वैद्यनाथ प्रसाद महतो जीते थे। लेकिन उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में जदयू का मार्जिन अब तक के रिकॉर्ड में सबसे कम हो गया। 2020 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ। 2019 के मुकाबले कुल वोटों की संख्या तो अधिक रही। लेकिन जदयू से लड़े सुनील कुमार को 4,03,360 वोट ही मिले। जबकि 2019 में जदयू के टिकट से लड़े वैद्यनाथ प्रसाद महतो को 6,02,660 वोट मिले थे। यही नहीं जीत का मार्जिन पहली बार 2020 में घट कर 22,539 रह गया।
2024 में मुकाबला कड़ा
वैसे तो इस सीट पर अभी उम्मीदवारों का चयन होना है। भाजपा की तरफ से अघोषित घोषणा है कि 2014 में इस सीट पर दर्ज करने वाले सतीश चंद्र दूबे ही प्रत्याशी होंगे। लेकिन औपचारिक ऐलान अभी शेष है। दूसरी ओर महागठबंधन में यह सीट किसके खाते जाएगी, यह कहना अभी मुश्किल है। वैसे इस लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में महागठबंधन के पास सिर्फ दो सीटें हैं। चार सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। लिहाजा मुकाबला कड़ा ही होगा, यह तय माना जा रहा है। वैसे भाजपा का इस सीट पर परफॉर्मेंस 100 फीसदी सफलता का है। भाजपा ने इस सीट पर एक ही बार चुनाव लड़ा है और वो भी जीता है। जबकि जदयू के वैद्यनाथ प्रसाद महतो के नाम पर भाजपा-जदयू गठबंधन में ही जीत का रिकॉर्ड है। 2009 में वैद्यनाथ प्रसाद महतो जब जदयू उम्मीदवार थे तो उन्हें भाजपा के सतीश चंद्र दूबे ने 1,17,795 वोटों से हराया था।