[Team Insider]: बिहार में एनडीए की ओर से विधान परिषद चुनाव को लेकर सीट बंटवारे का फॉर्मूला तैयार कर लिया गया है। इसमें जो एक चीज निकल कर सामने आ रही है, वह यह है कि कुछ भाजपा ने समझौता किया तो कुछ जदयू ने। लेकिन, इन दोनों की जुगलबंदी के बीच एनडीए के अन्य दो बड़े सहयोगियों का खेल खराब हो गया। जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी के पाले में कुछ भी हाथ नहीं आया है।
इस बार नहीं चला 50:50 का फॉर्मूला
बिहार विधान परिषद् की स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी के बीच आज सीटों का बंटवारा हुआ। भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और जदयू की ओर से शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में सीटों के बंटवारे की घोषणा की। सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले की बात करें तो 50:50 का फॉर्मूला तो इस बार नहीं चला। 24 में से 13 सीट भाजपा के पाले में गए तो 11 सीट ही जदयू की झोली में आए। हालांकि, जदयू ने मधुबनी विधान परिषद सीट को अपनी तरफ लाने में कामयाबी हासिल की।
भाजपा की वर्चस्व वाली सीट जदयू को मिली
मधुबनी विधान परिषद की सीट भाजपा की जीती हुई सीट थी। स्थानीय निकायों में भी भाजपा का वर्चस्व माना जा रहा है। इसके बाद भी यह सीट भाजपा ने जदयू को दे दी। वहीं, भाजपा ने अपने कोटे से पशुपति कुमार पारस वाले राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को एक सीट देने की घोषणा की है। इस पूरे सीट बंटवारे में हम और वीआईपी का हाथ खाली रह गया। वीआईपी एनडीए में भाजपा के पाले का माना जाता है। वहीं, हम को जदयू का करीबी माना जाता है। लेकिन, दोनों ही पार्टी को सीट शेयरिंग से आउट कर दिया गया।
वीआईपी को जमीन पर लाई भाजपा
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वीआईपी को भाजपा की बढ़त वाली सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। मुकेश साहनी ने सीधे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को ही चुनौती देनी शुरू की थी। हालांकि, उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में है। ऐसे में भाजपा ने वीआईपी को जमीन पर ला दिया है। मुकेश साहनी पिछले दिनों लगातार भाजपा के साथ दबाव की राजनीति कर रहे थे। ऐसे में भाजपा ने उन्हें हकीकत से रूबरू करा दिया है। आने वाले समय में उनके विधान परिषद का कार्यकाल भी समाप्त होने वाला है। अगर उसे रिन्यू नहीं किया गया तो फिर उनके सामने मंत्री पद को बचा पाना भी मुश्किल हो जाएगा।