[Team Insider]: 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में गवाह ने मंगलवार को विशेष NIA अदालत में बयान दर्ज कराया। बयान में गवाह ने कहा कि Maharashtra ATS ने उन्हें उत्तरप्रदेश के CM और चार अन्य RSS नेताओं का नाम लेने की धमकी दी थी। गवाह ने अपने बयान के दौरान अदालत को बताया कि तत्कालीन वरिष्ठ एटीएस अधिकारी परम बीर सिंह और एक अन्य अधिकारी ने योगी व आरएसएस के नेताओं के नाम लेने की धमकी दी थी।
शिवसेना स्पष्ट करे स्टैंड : भाजपा
उसने महाराष्ट्र ATS पर ऐसा करने के लिए प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया है। गवाह द्वारा इस खुल्लासे के बाद भाजपा विधायक राम कदम ने कहा कि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस सरकार ने हिंदुओं को जानबूझ कर बदनाम किया। गलत तरीके से ‘हिंदू अतंकवाद’ शब्द को गढ़ा। यह स्पष्ट है कि तत्कालीन सरकार ने आदित्यनाथ और आरएसएस कार्यकर्ताओं को गलत तरीके से फंसाने की कोशिश की। शिवसेना को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उसका इस मुद्दे पर क्या स्टैंड है।
कांग्रेस और सपा ने चुनाव से पहले राजनीतिक स्टंट बताया
जबकि, कांग्रेस के आरिफ नसीम खान और सपा विधायक अबी आसिम आजमी ने आरोप को खारिज किया है। दोनों ने कहा कि यह यूपी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का एक राजनीतिक स्टंट है। उन्होंने दावा किया, “योगी आदित्यनाथ को यह क्लीन चिट उत्तर प्रदेश चुनावों के कारण मिली है। मामले में विशेष लोक अभियोजक ने कहा था कि एनआईए उन पर आरोपियों से ढील देने के लिए दबाव बना रही थी। यह स्पष्ट है कि गवाहों पर दबाव बनाया जा रहा है।”
पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह थे ATS चीफ
बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह जबरन वसूली के कई मामलों का सामना कर रहे हैं। मालेगांव ब्लास्ट मामले में उन्हें एटीएस के अतिरिक्त आयुक्त के रूप में तैनात किया गया था। तब उन्होंने मालेगांव विस्फोट मामले की जांच की थी।