नीति आयोग की बैठक में पहुंची पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। ममता बनर्जी ने कहा कि “चंद्रबाबू नायडू ने बैठक में 20 मिनट तक अपने विचार रखे, असम, अरुणाचल, छत्तीसगढ़ और गोवा के मुख्यमंत्रियों ने भी 15-20 मिनट तक अपने विचार रखे लेकिन मैंने केवल 5 मिनट ही बात की और लोगों ने घंटी बजाकर मुझे बाधित करना शुरू कर दिया, मैंने कहा कि ठीक है आप बंगाल की बात नहीं सुनना चाहते और मैंने बैठक का बहिष्कार किया और चली गई।” लेकिन ममता बनर्जी की इस बात को कांग्रेस ने झूठ बताया है।
ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक के बारे में मीडिया को बताया कि “विपक्ष शासित राज्यों से मैं अकेली थी जो वहां गई थी। उन्हें मुझे 30 मिनट देने चाहिए थे। बैठक की शुरुआत में राजनाथ सिंह ने कहा कि सभी को 5-7 मिनट में अपने विचार प्रस्तुत करने चाहिए, लेकिन मुझे बोलने के लिए 7 मिनट भी नहीं दिए गए। उनके लोगों को 20 मिनट दिए गए, उन्हें विशेष पैकेज और विशेषाधिकार मिले लेकिन अन्य को 20 मिनट मिले। मैंने बैठक का बहिष्कार करके सही काम किया। मैं उन्हें बंगाल का अपमान नहीं करने दूंगी। मैं अन्य राज्यों में सरकार चला रहे विपक्षी दलों के साथ मजबूती से खड़ी हूं।”
नीति आयोग की बैठक के बाद दूसरे कुछ दलों ने तो ममता बनर्जी का सपोर्ट किया है। लेकिन कांग्रेस ने ममता बनर्जी को ही झूठा कहा है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के आरोपों पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “नीति आयोग की बैठक के बारे में ममता बनर्जी जो बातें कह रही हैं, मुझे लगता है कि वह झूठ बोल रही हैं। यह बहुत आश्चर्यजनक है कि किसी राज्य के सीएम को बोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ममता बनर्जी जानती थीं कि वहां क्या होने वाला है। उनके पास स्क्रिप्ट थी।”
वहीं दूसरी ओर जेएमएम के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, “यह भेदभाव है। सभी राज्यों का समान सम्मान है। जब ममता बनर्जी एक वैध सवाल पूछ रही थीं तो उनका माइक बंद कर दिया गया। अगर आप किसी को आमंत्रित करते हैं और उसका इस तरह अपमान करते हैं तो कौन रहेगा, सभी का स्वाभिमान है।”