बिहार की महागठबंधन सरकार के गठन के वक्त इसमें शामिल दलों का गुमान ये था कि यह सात पार्टियों का गठबंधन है। भाजपा को अकेले बताते इन सातों दलों के नेता मीडिया के कैमरों के सामने एक साथ जुड़े हुए हाथ उठाते थे, लेकिन सरकार गठन के छह महीने में ही साथ होने के बाद भी सबकी राय अलग अलग है। सरकार में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संरक्षक जीतन राम मांझी का दर्द ये है कि सरकार के बड़े फैसले राजद-जदयू के नेता ही लेते हैं। पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बयान से साफ है कि हम (सेक्युलर) और कांग्रेस, नीतीश-तेजस्वी सरकार के साथी तो हैं लेकिन सरकार में उनकी चलती नहीं है।
मोहब्बत वाले महीने में सीएम Nitish के लिए डबल टेंशन, हो गई तैयारी
मांग को नहीं दी जा रही तरजीह
जीतन राम मांझी ने वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुमार सिंह को दिए इंटरव्यू में कहा है कि “सरकार के बड़े फैसले जदयू और राजद के नेता ही लेते हैं। हमलोगों की राय नहीं ली जा पाती है। चूंकि महागठबंधन सरकार में कॉडिनेशन कमेटी नहीं है, इसलिए फैसलों पर राय नहीं हो पाती है। हमलोग जब NDA में थे, तब भी और अब महागठबंधन में हैं तब भी, को-ऑडिनेशन कमेटी बनाने की मांग कर रहे हैं। भाकपा माले के दीपंकर ने भी को ऑडिनेशन कमेटी बनाने में बात दोहराई है। लेकिन यह अभी तक बना नहीं है।”
“नीतीश नहीं बनेंगे PM पद के उम्मीदवार”
उसी इंटरव्यू के एक सवाल के जवाब में जीतन राम मांझी नीतीश कुमार के पीएम पद के उम्मीदवार होने की अटकलों को खारिज कर देते हैं। उनका कहना है कि “1974 में जेपी के नेतृत्व में क्रांति सफल हुई थी। लेकिन जेपी ने प्रधानमंत्री पद नहीं लिया था। नीतीश कुमार की भूमिका जेपी की तरह ही होगी। नीतीश ने 18 वर्ष से बिहार में सड़क, बिजली, लॉ एंड ऑर्डर सहित विकास कार्य किया है। नीतीश जी खुद कई बार कह चुके हैं कि वे पीएम पद की रेस में नहीं हैं। भाजपा के खिलाफ देशव्यापी एकजुटता बनेगी।”
“जहां रहेंगे नीतीश, वहीं रहूंगा”
2015 में जिस नीतीश कुमार से बगावत जीतन राम मांझी ने कर दी थी, अब आगे उन्हें साथ ही रहना है। जीतन राम मांझी ने इंटरव्यू में बताया है कि “2021 में जब एनडीए छोड़ कर महागठबंधन में आ रहे थे, तब मुझे खुद नीतीश जी ने कहा था कि आपके लिए कुछ अच्छा सोचा गया है। मुझे राज्यपाल बन कर शीतहाउस में नहीं रहना। हम नीतीश जी के साथ हैं। कहीं जाएंगे, तब भी हम उनके साथ जाएंगे।”