लोकसभा चुनाव में बहुमत नहीं मिलने के बावजूद, NDA ने सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुना है। बुधवार, 5 जून को प्रधानमंत्री आवास पर हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में TDP चीफ चंद्रबाबू नायडू, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 14 दलों के 21 नेता शामिल थे।
सूत्रों के अनुसार, TDP और JDU ने अपनी बड़ी सीटों की हिस्सेदारी के आधार पर कैबिनेट में महत्वपूर्ण मंत्रालयों की मांग की है। JDU की निगाह रेलवे और कृषि मंत्रालय के साथ बिहार के लिए विशेष पैकेज पर है। वहीं, TDP ने 5 मंत्रालयों और लोकसभा स्पीकर पद की मांग रखी है।
TDP के एक करीबी सूत्र ने बताया कि पार्टी ने ग्रामीण विकास, आवास और शहरी मामले, बंदरगाह और शिपिंग, सड़क परिवहन और राजमार्ग एवं जल शक्ति मंत्रालय की मांग की है। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए नायडू ने वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी मांगा है।
केंद्र सरकार के 10 सबसे ताकतवर और समृद्ध मंत्रालयों में गृह, रक्षा, वित्त, विदेश, रेलवे, सूचना प्रसारण, शिक्षा, कृषि, सड़क परिवहन और सिविल एविएशन शामिल हैं। 2019 और 2014 में भाजपा ने अपने पूर्ण बहुमत के कारण सभी बड़े विभाग अपने पास रखे थे, लेकिन इस बार स्थिति बदल गई है।
सूत्रों के अनुसार, 7 जून को नरेंद्र मोदी को भाजपा संसदीय दल और NDA संसदीय दल का नेता चुना जाएगा। इसके बाद राष्ट्रपति के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा। शपथ ग्रहण समारोह 8 जून को होने की संभावना है, जिसमें मोदी के साथ कुछ मंत्री भी शपथ ले सकते हैं।
भाजपा को बहुमत नहीं, 14 सहयोगी दलों के 53 सांसदों का समर्थन
लोकसभा चुनाव में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। पार्टी को 240 सीटें मिली हैं, जो बहुमत के आंकड़े (272) से 32 सीटें कम हैं। ऐसे में भाजपा 14 सहयोगी दलों के 53 सांसदों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाएगी। इस गठबंधन में चंद्रबाबू नायडू की TDP 16 सीटों के साथ दूसरी और नीतीश कुमार की JDU 12 सीटों के साथ तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है।