मुझे न पावर चाहिए, न पैसा, मुझे तो हर बिहारियों के चेहरे पर खुशी चाहिए। यह बातें विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने कही। खगड़िया के अलौली में श्री श्री 108 श्री कमला मेला महोत्सव में शामिल हुए पूर्व मंत्री ने कहा का उन्हें किसी पद और कुर्सी की लालसा नहीं है और जो ऐसा सोच रहे हैं वह गलत सोच रहे हैं। आगे कहा कि वह बिहार में जो लड़ाई लड़ रहे हैं इसे जारी रखेंगे। मेरी लड़ाई विचारों की है।
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बिहार के लोगों की लड़ाई लड़ने मुंबई से आया
मुकेश सहनी ने मुंबई में किए अपने संघर्ष की कहानी भी बताई है। कहा कि मैं अपनी जिंदगी आराम से मुंबई में गुजार रहा था और आगे भी गुजार लेता। लेकिन, हमारी परंपरा ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ रही है। इसका उदाहरण उन्होंने रामायण से दिया। कहा कि भगवान राम ने रावण के साथ युद्ध में विजय हासिल करने के बाद अपने भाई लक्ष्मण को कहे थे कि यह लंका सोने की है, फिर भी इसमें मेरी कोई रुचि नहीं है। क्योंकि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान हैं। यही कारण है कि वे अपने राज्य के लोगों की लड़ाई लड़ने बिहार पहुंचे।
अपने लोग ही करेंगे समाज को मजबूत
बिहार की राजनीति में इन दिनों कुर्सी की लड़ाई जमकर लड़ी जा रही है। जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा इसको लेकर चर्चा में बने हुए हैं। इसी कड़ी में अब मुकेश सहनी ने कुर्सी और पावर की लड़ाई की बात कर दी है। सहनी ने कहा कि भारत के संविधान ने हर नागरिक को वोट का अधिकार दिया है। इसे हम सभी को सही लोगों के लिए और अपनों के लिए इस्तेमाल करना जरूरी है। जब अपने लोग मजबूत होंगे तो पूरा समाज मजबूत होगा।