लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा पिछड़ गई। चुनाव में 400 पार के दावे से भी भाजपा पिछड़ गई। पिछड़ने की स्थिति तो ऐसी रही कि भाजपा पिछले दो चुनावों में अपनी प्राप्त सीटों की संख्या से भी पिछड़ गई। 2014 में जब नरेंद्र मोदी को चेहरा बनाते हुए भाजपा ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल किया तो उसे 282 सीट मिली। लंबे अर्से बाद किसी एक दल के पास बहुमत आया। 2019 में एक बार फिर मोदी सरकार बनी और भाजपा को 303 सीटें मिलीं। यानि 2014 से भाजपा आगे निकल गई। लेकिन 2024 में न 2019 का फिगर आया, न 2014 का और न ही पूर्ण बहुमत का आंकड़ा भाजपा के पास आया। यहां भाजपा फिसली और 240 सीटों पर पहुंच गई। इस हार की चर्चा लगातार हो रही है और विपक्ष भाजपा को नैतिकता के फेर में डालने की कोशिश कर रहा है। वैसे कारण नैतिकता हो या कुछ और इस हार की गाज लग रहा है अमित शाह पर गिरने वाली है।
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दरअसल, अमित शाह 2019 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े और रिकॉर्ड वोट से जीतने के बाद वे देश के गृह मंत्री बन गए। उनके कार्यकाल में कई फैसले हुए, जिसने देश का इतिहास-भूगोल बदलने की कोशिश हुई। लेकिन अब भाजपा पूर्ण बहुमत से पिछड़ गई है। ऐसे में भाजपा के पास चुनौती कई स्तरों पर है। इसमें पहली चुनौती तो यह है कि भाजपा अपने सहयोगी दलों की भावनाओं का आदर करे और उन्हें कैसे भी जोड़े रखे। सहयोगी दलों से मोहब्बत बरकरार रखने की शर्त यह दिख रही है कि अमित शाह का गृह मंत्री पद से हटने की चर्चा शुरू हो चुकी है। चर्चा यह भी है कि अमित शाह को गृह मंत्रालय से रोकने की बात चंद्रबाबू नायडू ने पीएम मोदी से कर ली है।
भाजपा की अगली चुनौतियों में मामला सांगठनिक फेरबदल का है। इस चुनाव ने भाजपा को संगठन पर एक बार फिर बदले अप्रोच से काम करने की जरुरत जता दी है। उत्तर प्रदेश जो पिछले दो चुनावों में भाजपा का गढ़ बन गया था, इस बार बिखर गया। गुजरात में क्लीन स्वीप की आदत भाजपा को लग गई थी, तो वहां भी कांग्रेस ने एंट्री मार ली। साथ ही एक्सटेंशन पर चल रहे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को कब तक कंटीन्यू रखा जाएगा, यह जवाब भी भाजपा नेतृत्व को अपने कार्यकर्ताओं को देना है। भाजपा की कई सीटों पर हार में भितरघात की बातें कही जा रही हैं। तो भाजपा की कोशिश यह होगी कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति बने जो संगठन को वापस 2014 और 2019 वाले दौर में ले जा सके। भाजपा के पास अभी मौका भी है क्योंकि 2024 में भाजपा पिछड़ी जरुर है लेकिन बिखरी नहीं है।
इसलिए संभावना यह जताई जा रही है कि भाजपा अब केंद्र की सरकार में अमित शाह के बदले नया गृह मंत्री बनाए और संगठन को मजबूत करने के लिए अमित शाह की संगठन में वापसी हो।