बिहार में 15 जनवरी के बाद कभी भी नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार का कैबिनेट विस्तार हो सकता है। यह प्रक्रिया 30 जनवरी तक पूरी होने की संभावना है। भाजपा से चार नए चेहरे मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। इसके साथ ही, वर्तमान में अधिक विभाग संभालने वाले मंत्रियों के विभागों को पुनः वितरित किया जाएगा।
पटना, तिरहुत और सारण प्रमंडल को प्राथमिकता
कैबिनेट विस्तार में पटना, तिरहुत और सारण प्रमंडल के विधायकों को विशेष महत्व दिया जाएगा। इन प्रमंडलों में 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को अधिक सीटें मिली थीं।
तिरहुत प्रमंडल: 39 सीटों में से 26 पर भाजपा विजयी हुई।
पटना प्रमंडल: 43 सीटों में भाजपा ने 8 और जदयू ने 5 सीटें जीतीं। सारण प्रमंडल: 24 सीटों में भाजपा ने 7 और जदयू ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की।
कैबिनेट में 6 पद खाली, जातीय समीकरण रहेगा बरकरार
फिलहाल मंत्रिमंडल में 30 मंत्री हैं, जबकि अधिकतम 36 मंत्री हो सकते हैं। मंत्री पद की 6 रिक्तियों को भरने में जातीय संतुलन का ध्यान रखा जाएगा। नए चेहरों को शामिल करते समय, मौजूदा मंत्रियों के जातीय आधार पर ही बदलाव होंगे।
कई मंत्रियों के पास एक से अधिक विभाग
वर्तमान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास पांच विभाग हैं, जबकि डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के पास वित्त और वाणिज्य विभाग हैं। विजय कुमार सिन्हा के पास तीन विभाग हैं। इसके अलावा, अन्य भाजपा और जदयू के कई मंत्रियों के पास भी दो-दो विभाग हैं, जिन्हें नए मंत्रियों के बीच वितरित किया जाएगा।
राजद ने 4 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की
इस बीच, राजद ने विधानसभा अध्यक्ष से 4 विधायकों की सदस्यता खत्म करने का ज्ञापन सौंपा है। मोकामा की विधायक नीलम देवी, सूर्यगढ़ा के विधायक प्रह्लाद यादव, शिवहर के चेतन आनंद और मोहनिया की विधायक संगीता कुमारी पर पार्टी त्यागने का आरोप लगाया गया है।
18 जनवरी को भाजपा अध्यक्ष का नामांकन
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का चुनाव 18 जनवरी को होगा। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल नामांकन करेंगे, और उनके निर्विरोध चुने जाने की संभावना है। उनका कार्यकाल 2028 तक रहेगा।