प्रदेश में जाति आधारित जनगणना कराने का फैसला लिया गया है। जिसके बाद से ही राज्य में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। हालांकि जातीय जनगणना पर साथ देने के बाद कल से ही भाजपा (BJP) ने भी कुछ आशंकाएं जताना शुरू कर दिया है। जहां एक तरफ भाजपा ने मांग करते हुए जातिगत जनगणना में रोहिंग्या और बांग्लादेशीयों की गिनती ना करने की बात कही है। वहीं दूसरी तरफ राज्य में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग भी उठने लगी है।
कैबिनेट की बैठक में हुआ यह फैसला
बता दें कि गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया की अगले 6 महीने में जाति आधारित गणना पूर्ण कर दी जाएगा। हालांकि कैबिनेट की बैठक के बाद जदयू कोटे के मंत्री नीरज कुमार बबलू मांग करते हुए कहा कि राज्य में जाति आधारित जनगणना के साथ अब जनसंख्या नियंत्रण क़ानून लागू करना चाहिए।
हालात हो सकते हैं बहुत खराब
हालांकि वन पर्यावरण मंत्री नीरज कुमार बबलू ने कहा कि प्रदेश में जाति आधारित जनगणना करने में सभी दलों से सहमति है और अब तो कैबिनेट से भी यह तय कर दिया गया है कि छह महीने के भीतर करा दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य में जिस तरह से एक धर्म विशेष की आबादी तेज़ी से बढ़ रही है वह बेहद चिंताजनक है। अगर जल्द से जल्द जनसंख्या नियंत्रण क़ानून लागू नहीं किया गया तो बिहार में हालात बहुत खराब हो जाएंगे।
भाजपा नेता को मिला जवाब
मंत्री नीरज कुमार बबलू की जनसंख्या नियंत्रण क़ानून लागू करने की मांग पर जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि कौन क्या मांग करते हैं यह नहीं पता, लेकिन हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में अभी जातिगत जनगणना कराना मेंसबसे जरुरी है। वहीं जनसंख्या नियंत्रण क़ानून पर कहा कि हमारी सरकार लड़कियों के शिक्षा पर खास ध्यान दे रही है और जब बिहार की सभी लड़कियां शिक्षित हो जाएंगी तो जनसंख्या अपने आप नियंत्रित हो जाएगी।
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