शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति हटाने को लेकर नीतीश सरकार चारो तरफ से घिर गई है। बिहार में विपक्षी पर्टी बीजेपी तो पहले से ही शिक्षक भर्ती नियमावली में किए गए बदलाव को लेकर सरकार पर हमलावर थी। वहीं नीतीश सरकार के साथी भाकपा माले और सीपीआई भी विरोध में आ गए हैं। अब नीतीश सरकार को विपक्ष के अलावा शिक्षक अभ्यर्थियों, और समर्थक दलों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। वहीं बिहार बीजेपी ने शिक्षकों के समर्थन में 13 जुलाई को विधानसभा मार्च का ऐलान कर दिया है।
13 जुलाई को बीजेपी का विधानसभा मार्च
प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि 13 जुलाई को बिहार बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता गांधी मैदान से विधानसभा तक मार्च करेंगे। जिसमें भाजपा के विधायक, विधान पार्षद समेत कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेंगे। नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा 13 जुलाई को विधानसभा मार्च तो होगा। इसके साथ ही मानसून सत्र में सदन के अंदर भी सरकार को घेरेंगे। सम्राट चौधरी ने मानसून सत्र का जिक्र करते हुए कहा कि बिहार विधानसभा का मानसून सत्र इस बार काफी छोटा रखा गया है। सरकार लोगों की परेशानियों को नजरअंदाज कर रही है। इन सवालों से बचने के लिए मानसून सत्र को छोटा रखा गया है। सरकार ने 5 दिनों का मानसून सत्र बुलाया है। जो 10-14 जुलाई तक चलेगा।
भाकपा माले ने भी नीतीश सरकार को घेरा
दूसरी तरफ बिहार महागठबंधन सरकार में सहयोगी भाकपा माले ने भी शिक्षक भर्ती में बाहरी छात्रों को शामिल करने के नीतीश सरकार निर्णय का विरोध किया था और तत्काल वापस लेने की मांग की। भाकपा माले के बिहार सचिव कुणाल ने कहा कि राज्य में शिक्षकों की भर्ती में डोमिसाइल नीति को हटाने का सरकार का निर्णय बेहद अनुचित और शिक्षक की तैयारी कर रहे बिहार के युवाओं के खिलाफ है। जब बिहार में हजारों बेरोजगार युवा शिक्षक की नौकरी के लिए तैयारी कर रहे हैं, वैसी स्थिति में सरकार का यह फैसले स्वीकार्य नहीं है। राज्य सरकार को अपने फैसले की समीक्षा करनी चाहिए।