बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार (30 दिसंबर, 2024) की शाम दिल्ली से पटना लौट आए। हालांकि, दिल्ली में उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात नहीं हो पाई, जो पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे। इस घटनाक्रम के बाद बिहार के सियासी गलियारों में हलचल मच गई है, और अब इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है।
आरजेडी का दावा है कि दिल्ली में नीतीश कुमार को बीजेपी द्वारा कोई तवज्जो नहीं दी गई और बीजेपी की तरफ से उन्हें नजरअंदाज किया गया। आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि “बीजेपी और जेडीयू के बीच जो खेल चल रहा है, वह अब एक्सपोज हो रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार को दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी और जेपी नड्डा से मिलने का समय नहीं मिला, जबकि एनडीए सरकार को नीतीश कुमार के नेतृत्व में चलाया जा रहा है। तिवारी ने यह भी कहा कि यह गंभीर मसला है और जेडीयू को बीजेपी तोड़ेगी और नीतीश कुमार को कुर्सी से हटाएगी।
नीतीश कुमार के पटना लौटने के बाद उन्होंने मीडिया से कोई भी बयान नहीं दिया। बस हाथ हिलाकर अभिवादन किया और सीधे अपने आवास की ओर रवाना हो गए। इस पर आरजेडी ने यह आरोप लगाया कि नीतीश कुमार को केंद्र के शीर्ष नेताओं से मिलने का अवसर नहीं मिला, और यह एक बड़ा राजनीतिक संकेत है।
वहीं, जेडीयू ने इस मामले पर गोलमोल जवाब दिया। जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि आरजेडी का ध्यान हमेशा नीतीश कुमार पर रहता है और उनका यह बयान नकारात्मक प्रचार फैलाने की कोशिश है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में मजबूत है और आरजेडी के आरोपों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
नीतीश कुमार की दिल्ली यात्रा के इस घटनाक्रम के बाद बिहार की राजनीति में नए सवाल उठ रहे हैं, और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी बयानबाजी देखने को मिल सकती है।