राज्यसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेडी (JDU) के उम्मीदवार के नाम पर अचानक चर्चाओं ने अलग तरह की राजनीति शुरू कर दी। इस सीट पर अभी RCP Singh सांसद हैं। केंद्रीय मंत्री भी हैं, जो मोदी मंत्रिमंडल में JDU की ओर से अकेले हैं। नीतीश के खासमखास रहे ही हैं। लेकिन चर्चा यह होने लगी कि नीतीश अब RCP Singh से पीछा छुड़ाना चाहते हैं। यह चर्चा अब पुष्ट हो चुकी है क्योंकि जदयू ने आरसीपी को राज्यसभा से बेटिकट कर दिया है। नया उम्मीदवार झारखंड जदयू के प्रदेश अध्यक्ष खीरु महतो को बनाया गया है।
UP कैडर के IAS रहे हैं RCP
नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह का जुड़ाव पुराना है। पहली बार केंद्रीय मंत्री नीतीश बने थे तो उनकी करीबी आरसीपी सिंह ने बढ़नी शुरू हुई। यह दोस्ती इतनी आगे बढ़ी कि RCP सिंह ने वक्त से पहले रिटायरमेंट ले लिया। जुड़ गए नीतीश कुमार की पार्टी से। आगे चलकर पार्टी में दूसरे नंबर की हैसियत भी आरसीपी को मिली। बाद में आरसीपी राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर भी JDU की कमान संभाले रहे।
2010 में पहली बार गए राज्यसभा
राजनीति से भले ही सीधा नाता न हो, लेकिन संसद तक पहुंचने में आरसीपी को ज्यादा वक्त नहीं लगा। 2010 में वे राज्यसभा पहुंच गए। तब से वे राज्यसभा में टिके हुए हैं। भाजपा से अलगाव और 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद आरसीपी अपने पार्टी का मुखर चेहरा बनने का प्रयास करते रहे। लेकिन उनकी पार्टी को इसका लाभ चुनावों में नहीं मिला। 2014 में लोकसभा चुनाव JDU बुरी तरह हारी। पहली बार अकेले चुनाव लड़ रही JDU के पास लोकसभा चुनाव में सिर्फ निराशा हाथ आई। 2014 में भाजपा की अगुवाई में JDU के बिना NDA ने 30 सीटों पर कब्जा जमा लिया था।
2015 में बिहार में सक्रिय
2014 की हार के बाद नीतीश कुमार ने तो कुर्सी छोड़ दी। लेकिन आरसीपी ने अपना कद बढ़ाने की शुरुआत उन्हीं दिनों की। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में RJD के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी JDU को RJD से कम सीटें मिली। यानि सरकार तो बनी नीतीश के नेतृत्व में लेकिन उनकी पार्टी RJD के सामने कमजोर ही रही। इस चुनाव के प्रबंधन में RCP कहीं आगे थे। लेकिन उनका पूरा प्रबंधन जदयू को बड़ा दिखाने में फेल साबित हुआ।
2020 के चुनाव में JDU तीसरे नंबर पर
2015 के चुनाव में JDU बिहार के विधायकों की संख्या के मामले में दूसरे नंबर पर रही। लेकिन 2020 में यह पार्टी तीसरे नंबर पर खिसक गई। इस बीच आरसीपी सिंह दुबारा राज्यसभा पहुंच चुके थे और परोक्ष रूप से जदयू की कमान भी उन्हीं के हाथों में आ गई थी। लेकिन उनके प्रबंधन का कोई लाभ 2020 के विधानसभा चुनाव में नहीं मिला और पार्टी के विधायकों की संख्या 50 से कम हो गई।
UP में गठबंधन बनाने में भी फेल रहे RCP
आरसीपी सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद वे ड्राइविंग सीट पर आ गए। 2022 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में उस भाजपा से गठबंधन बनाने में आरसीपी सफल नहीं हो पाए, जो बिहार में उनकी सहयोगी है। जेडीयू यूपी में अकेले लड़ी और कोई सीट नहीं जीत सकी।