राजनीति में डर दिखाकर सत्ता बरकरार भी रखी जाती है और सत्ता बदला भी जाता है। बिहार में तो पॉलिटिकल डर पुरानी बात है। कभी लालू यादव ने कांग्रेस का डर दिखा सत्ता हासिल की थी। उसके बाद नीतीश कुमार ने लालू यादव का डर दिखाकर सत्ता हासिल की। अब लालू-नीतीश, भाजपा का डर दिखाकर केंद्र की सत्ता में जाना चाहते हैं। इस डर के बीच बिहार के सीएम, डिप्टी सीएम और पूर्व डिप्टी सीएम को इन दिनों अलग अलग डर लग रहा है।
सीएम नीतीश का डर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को डर है कि भाजपा वक्त से पहले लोकसभा चुनाव कराना चाहती है। इस डर को नीतीश कुमार ने सार्वजनिक तौर पर जाहिर भी कर दिया। बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य विभाग के एक कार्यक्रम में बोलते हुए नीतीश कुमार ने अधिकारियों को सभी योजनाओं का काम जल्दी पूरा करने का निर्देश दिया। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट कहा कि पता नहीं कब लोकसभा चुनाव हो जाएं, जरूरी नहीं कि चुनाव अगले साल ही हो। हो सकता है इसी साल के आखिर में चुनाव हो जाए।
डिप्टी सीएम तेजस्वी भी डरे हुए
बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी डरे हुए हैं। उन्हें आशंका है कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा सकती है। तेजस्वी का कहना है कि लैंड फॉर जॉब स्कैम में उनके खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की जा सकती है। अभी तक उनका नाम इस चार्जशीट में नहीं है। तेजस्वी यादव ने आशंका जाहिर की है कि विपक्षी दलों की आगामी बैठक 23 जून को है। इसमें व्यवधान डालने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। तेजस्वी यादव का यह डर खुलकर तब सामने आया है जब तमिलनाडु सरकार में मंत्री सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी हुई है।
सुशील मोदी को भी लग रहा डर
भाजपा के वरिष्ठ नेता व बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी भी डरे हुए हैं। दरअसल, सुशील मोदी का डर नीतीश कुमार के जल्दी लोकसभा चुनाव कराने की आशंका वाले बयान के बाद जगजाहिर हुआ है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से बिहार नहीं संभल रहा है। गठबंधन भी टूट रहा है, उनके मित्र भी साथ छोड़ रहे हैं। इसलिए नीतीश कुमार बिहार में समय से एक साल पहले 2024 में विधानसभा चुनाव कराने का अंतिम दांव खेलना चाहते हैं। सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार अधिकारियों से इसीलिए जल्दी काम करवाना चाहते हैं क्योंकि उनकी मंशा समय से पहले विधानसभा चुनाव करा लेने की है।