बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों दिल्ली में हैं। तीन दिनों का दौरा है। पहले ही दिन राहुल गांधी और एचडी कुमारस्वामी से मुलाकात करने के बाद दोनों नेताओं के साथ मुस्कुराती तस्वीरें सर्कुलेट हो चुकी हैं। विपक्षी एकता पर बात हुई ही होगी। एकता बनेगी-टिकेगी यह तो चुनाव में पता चलेगा। लेकिन प्रशांत किशोर यानि PK को नीतीश कुमार पर भरोसा नहीं है। वे भरोसा कर ही नहीं पा रहे हैं कि नीतीश कुमार पूरी तरह विपक्ष में आ चुके हैं। भले ही सार्वजनिक तौर पर नीतीश कुमार को एनडीए छोड़ महागठबंधन की गोलबंदी का प्रयास शुरू किए हुए लगभग एक महीना हो गया, लेकिन प्रशांत किशोर अभी भी उन्हें शक की निगाहों से देख रहे हैं।
तीन टुकड़ों में बंटा नीतीश का ‘कैरेक्टर’
CM नीतीश कुमार का का राजनीतिक कैरेक्टर टुकड़ों में बंटा दिख रहा है। नीतीश कुमार को देखने वाले उनके तीन कैरेक्टर देख रहे हैं। पहला तो वो भाग है, जिसमें अचानक उनमें प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं का ज्वार-भाटा आया हुआ है। इसमें जदयू के ही लोग शामिल है। जदयू के अलावा इसमें कुछ हद तक राजद के नेताओं की रजामंदी सार्वजनिक है। तो दूसरा वो पक्ष वो है जो अब उन्हें सीएम के लायक भी मानने को तैयार नहीं है। यह पक्ष भाजपा के नेताओं के अलावा चिराग पासवान का है। लेकिन एक तीसरा गुट भी है, जो भाजपा विरोध के मुद्दे पर तो नीतीश कुमार को आंशिक समर्थन तो दे रहा है लेकिन उनकी विश्वसनीयता पर सवाल भी उठा रहा है। इसी कड़ी में नीतीश कुमार के पुराने सलाहकार और पार्टी के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर हैं।
“बिहार की घटना का असर देश पर नहीं”
प्रशांत किशोर ने कहा कि एक महीना पहले तक तो नीतीश कुमार पक्ष में थे। अब एक महीने से विपक्ष की गोलबंदी कर रहे हैं। तो उनकी विश्वसनीयता कितनी है, यह तो जनता पर ही छोड़ना होगा। लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता कि बिहार में जो राजनीतिक प्रयोग हुआ है, उसका देशव्यापी असर होगा। बिहार में जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है, वह सिर्फ बिहार से संबंधित है। उसका देश पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। हालांकि प्रयास करने के लिए हर कोई स्वतंत्र है।