CM नीतीश कुमार की महागठबंधन में वापसी को एक महीना ही बीता है। एनडीए छोड़ 10 अगस्त को नीतीश कुमार ने आठवीं बार सीएम पद की शपथ ली थी। 16 अगस्त को मंत्रिमंडल विस्तार भी हो गया था। लेकिन अब जदयू-राजद के नेताओं की महत्वकांक्षा कुलांचे मारने लगी है। कुछ अपने वर्तमान को लेकर नाराज हैं तो कुछ को भविष्य की चिंता सताने लगी है। ज्यादा असर जदयू पर पड़ रहा है क्योंकि एक के बाद एक दो झटके एक महीने ही जदयू को लग चुका है।
मंत्री पद पर रार
पहले बात करते हैं जदयू के उन नेताओं के बारे में जो अपने वर्तमान को लेकर अनिश्चित हैं। शुरुआत पूर्व मंत्री बीमा भारती ने की। उन्होंने लेशी सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बीमा भारती न सिर्फ लेशी सिंह को मंत्री पद देने के खिलाफ थी। बल्कि उन्होंने लेशी सिंह पर कई संगीन आरोप भी लगाए। नीतीश कुमार उन पर नाराज हुए तो बीमा थोड़ी खामोश हुईं। लेकिन विवाद थमा नहीं। अब लेशी सिंह ने उन पर पांच करोड़ रुपए की मानहानि का नोटिस भेजा है। ऐसे में इस पूरे मामले में किचकिच अभी लंबा चलने की उम्मीद है।
प्रवक्ता पद भर से संतुष्ट नहीं निखिल!
JDU को दूसरा और बड़ा झटका दिया है निखिल मंडल ने। उन्होंने प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है। लंबे समय तक जदयू के पॉलिटिकल स्टैंड को बारीकी से मीडिया के सामने रखते रहे निखिल मंडल अपने इस्तीफे का कारण स्पष्ट नहीं कर सके हैं। निखिल मंडल ने लिखा है, ‘निजी कारण से मैं जेडीयू प्रदेश प्रवक्ता पद से इस्तीफा देता हूं। आप सभी का धन्यवाद जो 31.01.2016 से लगातार मुझे इस पद के लायक समझा। कृपया मेरे इस्तीफा को मंजूर करें।
राजनीतिक भविष्य की चिंता में निखिल?
दरअसल, महागठबंधन सरकार बनने के बाद कुछ नेताओं में असहजता स्वाभाविक तौर पर बढ़ी है। उनमें एक निखिल मंडल भी माने जाते हैं। निखिल को विधानसभा चुनाव 2020 में हराने वाले राजद के चंद्रशेखर को नीतीश के नए मंत्रिमंडल में शिक्षामंत्री का प्रोफाइल मिल गया है। तो दूसरी ओर नीतीश कुमार और शरद यादव की मुलाकात से लोकसभा में भी निखिल की उम्मीदों को झटका लगा है। सूत्र बताते हैं कि निखिल लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। लेकिन नए राजनीतिक समीकरणों में इस सीट पर शरद यादव की बेटी सुभाषिनी भी टिकट के प्रयास में रहेंगी। ऐसे में राजनीतिक भविष्य की अनिश्चितता भी निखिल मंडल के इस्तीफे का कारण हो सकती है।
मधेपुरा में डेरा जमाए बैठ गए निखिल
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री BP Mandal के पोते निखिल मंडल पेशे से वकील भी हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज के एल्युम्नाई निखिल मंडल अब मधेपुरा में डेरा जमाकर बैठ गए हैं। निखिल मंडल ने कोई घोषणा नहीं की है लेकिन उनकी चुप्पी और इस्तीफे के कारण की अस्पष्टता कई संभावनाओं को जन्म दे रही है।