केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation One Election) पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी है। इस पर अब राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिलने पर नाराजगी जताई। खरगे ने कहा, “हम इसके साथ नहीं हैं। एक राष्ट्र एक चुनाव लोकतंत्र में काम नहीं कर सकता। अगर हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र बचा रहे तो जब भी जरूरत हो चुनाव कराने होंगे”
कोई नायाब हीरा नहीं
वहीं वन नेशन वन इलेक्शन पर राजद नेता मनोज कुमार झा ने कहा, “इस देश में वन नेशन वन इलेक्शन था, मोदी जी कोई नायाब हीरा नहीं ला रहे हैं। 1962 के बाद वह क्यों हटा क्योंकि एकल पार्टी का प्रभुत्व खत्म होने लगे। मैं पहले इसका मसौदा देखूंगा। मान लीजिए- चुनाव होते हैं, उत्तर प्रदेश में बनी हुई सरकार गिर जाती है तो फिर क्या होगा? क्या आप राष्ट्रपति शासन लगाएंगे? क्या राज्यपाल के माध्यम से अगले चुनाव तक व्यवस्था होगी या फिर से चुनाव होंगे?… ये (भाजपा) लोग ध्यान भटकाने में माहिर हो गए हैं कि कैसे मौलिक चीज़ों से ध्यान हटाया जाए। आज देश को रोजगार चाहिए। क्या वन नेशन वन इलेक्शन रोजगार की करोड़ों संभावनाएं बना देगा? आप खत्म हो जाएंगे लेकिन विविधता बरकरार रहेगी।”
वन नेशन वन इलेक्शन को मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी
लूटेरों का राज नहीं चलेगा
इधर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर लिखा कि ‘हर वर्ष किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं। चुनावों की इस निरंतरता के कारण देश हमेशा चुनावी मोड में रहता है। इससे न केवल प्रशासनिक और नीतिगत निर्णय प्रभावित होते हैं बल्कि देश के खजाने पर भारी बोझ भी पड़ता है। वन नेशन-वन इलेक्शन से दलित मतदाताओं को भी सुविधा होंगी। अब वोट के लूटेरों का राज नहीं चलेगा।’
केंद्रीय मंत्रिमंडल में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ को मंजूरी दिए जाने पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि “पीएम नरेंद्र मोदी हमेशा से ही एक देश एक चुनाव के पक्ष में थे। सभी मुख्य न्यायाधीशों, राजनीतिक नेताओं, राजनीतिक दलों, चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ चर्चा हुई और आज आखिरकार कैबिनेट से मंजूरी मिल गई। मल्लिकार्जुन खरगे की भाषा विध्वंसक होती है। ये देश के विकास के लिए और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक राष्ट्र एक चुनाव की आवश्यकता है। मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी को बताना चाहिए कि 1966 से पहले एक देश एक चुनाव होता था कि नहीं। उस समय नेहरू जी ने क्यों नहीं रोका?”
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ को मंजूरी मिलने पर जदयू राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा, “ये बदल रहे भारत की तस्वीर और बेहतर बनेगी। चुनाव के खर्च का जो भीमकाय आकार है उसको काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा। मतदान केंद्रों पर बड़ी संख्या में लोग कतार में लगेंगे। समय पर सुरक्षाबलों की तैनाती होगी और बेहतर तरीके से होगी। कैबिनेट के इस फैसले से अब यह मार्ग प्रशस्त हो गया है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव भविष्य में जब होंगे तो एक साथ कराए जाने का रास्ता तय हो गया है।’