महाराष्ट्र में सियासी भूचाल के बाद से बीजेपी का ऑपरेशन लोटस एक बार फिर चर्चा में आ गया है। महाराष्ट्र में एनसीपी के कद्दावर नेता अजीत पवार ने बगावत कर दी है। अजीत पवार कई विधायकों के साथ महाराष्ट्र सरकार में शामिल होकर उपमुख्यमंत्री बन गए है हैं। इधर, इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि विपक्षी एकता की बैठक से घबराई केंद्र की बिजेपी सरकार ने अपरेशन लोटस लॉन्च कर दिया है। माना जा रहा है कि यह ऑपरेशन बिहार से शरू हो गया था, जो अभी भी एक्टिव है। जानकार मानते हैं कि इससे पहले आरसीपी सिंह, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन मांझी प्रकरण भी ऑपरेशन लोटस का हिस्सा था।
बिहार में भी अंतरात्मा जगाने का प्रयास
महाराष्ट्र की राजनीति में जो कुछ हुआ, उसके बाद यह अटकलें लगने लगीं है कि क्या बिहार में भी महाराष्ट्र की तरह राजनीतिक संकट आने वाला है? दरअलस, बिहार में पिछले तीन-चार दिनों की घटनाओं को देखा जाए तो राजनीतिक रूप से कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जो बता रही हैं कि कुछ तो है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर एनडीए में वापसी कर सकते हैं। गृह मंत्री अमित शाह पिछले 10 महीने में 5 बार बिहार का दौरा कर चुके हैं। हर बार नीतीश कुमार की आलोचना की और कहा कि उनके लिए भाजपा के दरवाजे बंद हो चुके हैं। लेकिन 29 जून को अपने लखीसराय के संबोधन में गृह मंत्री ने नीतीश कुमार के संबंध में एक भी टिप्पणी नहीं की। अमित शाह ने भ्रष्टाचार को उजागर करके नीतीश कुमार की अंतरात्मा को जगाने का प्रयास किया।
पार्टी भी कर रही भरपूर प्रयास
सूत्र कह रहे हैं कि बीजेपी जेडीयू में भी सेंध लगाने की तैयारी में है। यहां पर नीतीश की पार्टी के उन तत्वों की तलाश तेज हो गई है, जिनके अंदर बगावत के इलेक्ट्रॉन-प्रोटॉन उमड़-घुमड़ रहे हैं। अनुमान है कि बिहार से भी कुछ दिनों में महाराष्ट्र जैसी खबर आ सकती है। नीतीश कुमार भी इसलिए अपने नेताओं से बात कर रहे हैं और उन्हें एकजुट रहने के लिए कह रहे हैं।
बिहार-महाराष्ट्र, बीजेपी के लिए मुश्किल राज्य
2024 लोकसभा चुनाव के लिए बिहार और महाराष्ट्रा में गठबंधन का गणित बीजेपी को परेशान कर रहा था। बीजेपी के लिए बिहार और महाराष्ट्र सबसे मश्किल राज्य दिख रहा था। साथ हीं कर्नाटक भी। कई ऐसे सर्वे भी आ चुके थे, जिसमें बीजेपी खुद को पिछे पा रही थी। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार की महागठबंधन और महाराष्ट्र में एनसीपी, कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के गठबंधन महाविकास अघाड़ी से कड़ी टक्कर मिलती दिख रही है। इसके बाद से ही ऑपरेशन लोटस की सुगबुगाहट की खबरें आने लगी। राजनीतिक जानकारों की माने तो लोकसभा चुनाव तक ऑपरेशन लोटस एक्टिव रहेगी। इस बात की पूरी संभावना है कि यह अभियान अब राजस्थान की ओर बढ़ेगा। नंबर में कर्नाटक और मध्य प्रदेश भी है।
विपक्षी एकता पर पड़ेगा असर
पटना की बैठक में विपक्षी एकता में एक राय नहीं बन पाई थी। अभी दूसरी बैठक की तारीख सामने आई ही थी कि उसके पहले ही बीजेपी ने बड़ा खेला कर दिया। इसे बीजेपी का डैमेज कंट्रोल माना जा रहा है। महाराष्ट्रा में अजित पवार और बिहार में जीतन मांझी से बगावत कराकर विपक्ष की एकता पर पर बुरा प्रभाव डालने की यह कोशिश दिख रही है। मना जा रहा है कि इस तरह के बगावत का असर सीधे 15 पार्टियों की गठबंधन पर पड़ने वाला है। साथ ही पूरे देश में यह संदेश देने की कोशिश है कि विपक्ष कभी एक नहीं हो सकता।