बिहार में बाढ़ का कहर जारी है। बाढ़ से 2,24,597 हेक्टेयर में खड़ी फसल प्रभावित हुई है। इसमें 91,817 हेक्टेयर में फसल क्षति 33 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है। पानी उतरने के बाद नए सिरे से फसल क्षति का आकलन होगा। वहीं, बाढ़ प्रभावित इलाकों में अब भी बड़ी संख्या में लोग बच्चों व मवेशियों के साथ तटबंधों और सड़कों के किनारे शरण लिए हुए हैं। उन्हें भोजन, पानी, दूध व दवाइयों की कमी से जूझना पड़ रहा है। आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक राज्य के 17 जिलों की 14.62 लाख आबादी बाढ़ के पानी से घिरी हुई है।
अब इस मामले को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेरना का काम कर रही है। इस मामले को लेकर एक बार फिर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का बयान सामने आया है। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में आई विनाशकारी बाढ़ पर केंद्र सरकार से अबतक कोई राहत नहीं मिली है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अबतक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बाढ़ को लेकर मुलाकात तक नहीं की है। मुख्यमंत्री बिहार में आपदा घोषित कराने के लिए प्रधानमंत्री से मिलने में क्यों हिचकते हैं?
तेजस्वी ने कहा कि 2008 में बिहार में आई बाढ़ को याद कीजिए। तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी। उनके नेता तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद के आग्रह पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के सर्वेक्षण पर बिहार आई थीं।
लालू प्रसाद ने प्रधानमंत्री को बाढ़ की भयावह स्थिति से अवगत कराकर इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कराया। उस दौर में एक हजार करोड़ की विशेष सहायता राशि बिहार को दिलाई। उस वक़्त यूपीए के बिहार से 29 सांसद थे, जबकि अब एनडीए के 30 सांसद हैं। वे इतने असहाय है कि केंद्र से बिहार की बाढ़ को न आपदा घोषित करा सकते हैं और न ही विशेष सहायता राशि की मांग सकते हैं।