बिहार की राजनीति में पिछला महीना पूरी तरह उलटफेर वाला रहा। 17 माह पहले जिस तरह नीतीश कुमार ने भाजपा को छोड़ राजद के साथ सरकार बनाई थी। जनवरी में राजद का साथ छोड़ उसी तरह नीतीश कुमार ने वापस भाजपा के साथ सरकार बना ली। तेजस्वी यादव की पार्टी राजद एक बार फिर बिहार में विपक्षी दल की भूमिका में आ गई। सामने लोकसभा चुनाव है, जो तेजस्वी यादव की बड़ी चुनौती है। क्योंकि 2019 के चुनाव में तेजस्वी की पार्टी ने खराब प्रदर्शन का रिकॉर्ड बनाया था और उसे एक भी सीट नहीं मिली थी। इस बार लोकसभा चुनाव के ठीक पहले तेजस्वी यादव को ऑफर मिला है।
दरअसल, AIMIM बिहार में पांव पसारना चाहती है। राजद के लिए यह सबसे बड़ी परेशानी है। क्योंकि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा और 5 पर जीत दर्ज की। इन पांच सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार को बढ़त मिल सकती थी अगर AIMIM नहीं लड़ती। इसके अलावा दूसरे 6 सीटों पर AIMIM ने महागठबंधन को डैमेज किया और वे सीटें एनडीए के हिस्से चलीं गई। हालांकि बाद में तेजस्वी यादव ने AIMIM के पांच में से 4 विधायकों को राजद में मिला लिया। लेकिन अब AIMIM उस दर्द को भूल कर तेजस्वी यादव के साथ गठबंधन के लिए आगे आया है।
सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने किशनगंज में कहा कि “हम अधिक संसदीय सीटों पर उम्मीदवार उतारने की सोच रहे हैं क्योंकि मैं जानता हूं कि बिहार का विपक्ष भाजपा को नहीं रोक सकत।” ओवैसी ने आगे कहा कि “मैं तेजस्वी से पूछना चाहता हूं कि हमारे चार विधायकों का क्या हुआ? वे अब सारी विश्वसनीयता खो चुके हैं। मैं आपसे अपील करता हूं कि मजलिस को मजबूत करें ताकि आपकी आवाज लोकसभा में भी सुनी जा सके और हम PM मोदी के 370 सीटों के सपने को रोक सकें।”
बिहार में अभी सिर्फ एक विधायक होने के बाद भी ओवैसी अगर तेजस्वी और विपक्ष को अपने साथ जुड़ने का ऑफर दे रहे हैं तो इसके पीछे की वजह 2020 विधानसभा का चुनाव है। AIMIM ने में 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। इनमें से 5 सीटों कोचाधामन, बहादुरगंज, जोकीहाट, अमौर और बायसी पर उनकी पार्टी जीती है। 2015 में कोचाधामन और जोकीहाट में जदयू, बहादुरगंज और आमौर में कांग्रेस और बायसी में राजद जीती थी। तब जदयू भी महागठबंधन का हिस्सा था, तो कह सकते हैं कि तब ये सभी 5 सीटें महागठबंधन के पास थीं। इसके अलावा रानीगंज सीट पर महागठबंधन के उम्मीदवार की हार का अंतर मात्र 2,304 था। जबकि, यहां AIMIM को 2,412 वोट मिले हैं। कुल मिलाकर ओवैसी की पार्टी ने महागठबंधन को 6 सीट का नुकसान पहुंचाया है। वहीं 2022 में गोपालगंज सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा की प्रत्याशी कुसुम देवी सिर्फ 1794 वोट से जीतीं। जबकि AIMIM के उम्मीदवार 12214 वोट मिले थे। दावा है कि एआईएमआईएम अगर यह चुनाव नहीं लड़ती तो उनके वोट राजद उम्मीदवार मोहन गुप्ता को ही मिलते। ओवैसी जान चुके हैं कि वो राजद के लिए मुश्किल खड़ा करने में अब कामयाब होने लगे हैं तो वे तेजस्वी को ऑफर देकर लोकसभा चुनाव में भागीदारी चाहते हैं।