लोजपा अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस के जीवन में वही काल चक्र घूम रहा जो उनके कारण कल तक चिराग पासवान झेल रहे थे। पशुपति पारस ने जिस तरह से चक्रव्यूह रच चिराग जी शक्तियों का हनन किया था, ठीक उसी तरह चिराग उनके साथ कर रहे। लेकिन इस सभी के बीच एक बात दोनों ही चाचा भतीजे में एक समान है कि दोनों को बगावती पॉलिटिकल स्ट्रेटजी एक जैसी हैं।
दरअसल, साल 2020 में जब चिराग NDA से अलग हो गए थे तो उन्होंने बिहार के 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। जिसमें से JDU के खिलाफ 122 उम्मीदवार उतारे गए थे तो बाकी भाजपा और अन्य के खिलाफ। इसके कारण 2020 के विधानसभा चुनाव में JDU को काफी नुकसान हुआ था, वहीं भाजपा को भी ये बगावत भारी पड़ी थी।
ऐसे में अब ठीक उसी तरह पशुपति पारस ने भी एलान किया है। आरएलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने पार्टी नेताओं से बिहार की सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी करने को कहा है। पशुपति कुमार पारस ने कहा है कि 2024 लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के साथ नाइंसाफी हुई है। 5 सांसद रहने के बाद भी उनके दल को एक भी सीट नहीं दी गयी, फिर भी वे चुप रहे। लेकिन वे राजनीति करने वाले लोग हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव में यदि उनकी बात नहीं सुनी गयी तो वे आगे की राजनीति के लिए स्वतंत्र हैं। ऐसे में अब पारस के चिराग मॉडल से NDA को कितना नुकसान होगा ये आने वाला चुनाव ही बतायेगा।