पटना : इन दिनों वन नेशन वन इलेक्शन की चर्चा जोरों पर है। वर्तमान सरकार चाहती है कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों को एक साथ कराया जाए। इसके अध्ययन के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन भी किया गया। देश में हो रही चर्चा का असर बिहार की राजनीति पर भी देखा जा रहा है। ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर केंद्र सरकार की पहल के खिलाफ राजद ने शनिवार को पोस्टर वार शुरू किया। राजद की ओर से पटना की सड़कों पर पोस्टर लगाकर ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर सवाल उठाए गये। साथ ही देश में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ से कहीं ज्यादा जनहित के जरूरी मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करने की अपील केंद्र सरकार से की गई।
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पटना की सड़कों पर लगाए गये पोस्टरों में राजद ने एक साथ शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य को लेकर सवाल किए हैं। राजद ने पूछा है- वन नेशन वन एजुकेशन क्यों नहीं? हमारे देश में कोई युवा बेरोजगार नहीं रहे यह नियम क्यों नहीं ? वन नेशन वन इलेक्शन तो पब्लिक सुविधा एक क्यों नहीं? वन नेशन वन ट्रीटमेन्ट (स्वास्थ्य सेवा) क्यों नहीं? राष्ट्रपति का हो संतान या हो भंगी की संतान सबकी शिक्षा एक समान।
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विपक्ष का मानना है कि सच्चाई तो ये है कि यह नारा देश की जनता को भटकाने के लिए लगाया जा रहा हैं। ऐसा इसलिए कि लोगों का ध्यान बेरोजगारी, महंगाई के बारे में चर्चा नहीं करें। किसान और महिलाएं पर चर्चा न हो। सिर्फ ऐसी बात वे करते हैं जो जिससे लोगों का मन भटके और कही और कंसंट्रेट करें। कोई सवाल न करें और जो सवाल करे वो जेल जाए। चार वर्षों में चंद कंपनियां आमदनी में चार गुना वृद्धि की। पर मजदूरी, वेतन स्थिर है। अमीर लोग अमीर और गरीब लोग गरीब होते जा रहे हैं।
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वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव राष्ट्रहित में है, इससे खर्च बचेगा और विकास होगा। मैं विपक्ष से, खासकर कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि 1967 तक देश में एक राष्ट्र एक चुनाव होता रहा, उस समय संघीय ढांचे को चोट नहीं पहुंच रही थी?… इससे देश मजबूत होगा, विकास होगा… एक राष्ट्र एक चुनाव राष्ट्रहित में है, अगर कांग्रेस इससे इनकार करती है तो मुझे लगता है कि यह दोगलापन है।”