जन सुराज अभियान के सूत्रधार और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा राजनीतिक हमला किया है। प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि इन दोनों नेताओं का राजनीतिक मॉडल समाज को गरीब, अनपढ़ और मजदूर बनाकर अपनी सत्ता बनाए रखने का है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और समतामूलक समाज के नाम पर जनता को गुमराह कर वोट लिया जा रहा है।
“लालू यादव ने पिछड़ों को जानबूझकर शिक्षा नहीं दी”
प्रशांत किशोर ने लालू यादव पर आरोप लगाया कि उनके शासन काल में पिछड़े वर्गों को आवाज तो दी गई, लेकिन उन्हें शिक्षा, जमीन, या रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया। उन्होंने कहा,
“लालू यादव ने पिछड़ों को इसलिए शिक्षा नहीं दी ताकि ये वर्ग शिक्षित होकर उनकी राजनीति के खिलाफ खड़ा न हो जाए। उन्होंने इन्हें केवल झंडा उठाने और नारे लगाने वाला बना दिया। अगर उन्होंने शिक्षा और रोजगार दिया होता, तो आज ये लोग उनकी पार्टी का झंडा लेकर नहीं घूम रहे होते।”
“नीतीश और लालू का राजनीतिक मॉडल एक जैसा”
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार और लालू यादव की राजनीति की तुलना करते हुए कहा कि दोनों का उद्देश्य समाज को बांटकर और गरीब बनाए रखकर सत्ता में बने रहना है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन नेताओं की राजनीति ने बिहार को गरीब, मजदूर और पिछड़ा बना दिया है।
गरीबी और पेंशन पर सवाल
प्रशांत किशोर ने कहा कि आज बिहार में हालात इतने खराब हैं कि लोग महज ₹400 की पेंशन पाने के लिए सरकार को वोट दे रहे हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि जनता को गरीबी के चक्रव्यूह में फंसा कर नेताओं ने अपनी सत्ता को मजबूत किया है।
नीतीश और लालू की नीतियों पर निशाना
प्रशांत किशोर ने दोनों नेताओं की नीतियों को विफल बताते हुए कहा कि बिहार को विकास की जरूरत है, लेकिन ये नेता केवल अपने राजनीतिक हितों को साधने में लगे रहे। उनका आरोप है कि सामाजिक न्याय और समानता के नाम पर केवल वोट बैंक की राजनीति की गई।
प्रशांत किशोर के बयान के राजनीतिक मायने
प्रशांत किशोर के इस बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। उनका यह आरोप सीधे तौर पर लालू यादव और नीतीश कुमार के समर्थकों को आहत कर सकता है। वहीं, विपक्षी दलों को इस बयान के जरिए सरकार और आरजेडी पर हमला करने का एक मौका मिल सकता है।