बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने कहा था कि उनकी पार्टी सत्ता में आती है और वे मुख्यमंत्री बनते हैं तो पहली कैबिनेट मीटिंग में 10 लाख लोगों को नौकरी देंगे। उस समय तो चुनाव में तेजस्वी पिछड़ गए। लेकिन अगस्त 2022 में नीतीश कुमार के पाला बदलने से तेजस्वी की सरकार में इंट्री हो गई। तेजस्वी यादव अगस्त 2022 में दूसरी बार बिहार के उपमुख्यमंत्री बने। लेकिन नौकरियों वाला वादा पूरा नहीं हुआ। तेजस्वी ने अभी तक 10 लाख नौकरियां देने का वादा क्यों नहीं पूरा किया है, इसे प्रशांत किशोर ने बताया है।
गिरिराज सिंह का ऐलान, BJP की सरकार बनी तो मस्जिदों से हटेगा लाउडस्पीकर
“सिग्नेचर करना सीख रहे हैं तेजस्वी”
प्रशांत किशोर ने कहा कि तेजस्वी यादव ने कहा था कि हम पहले कैबिनेट में पहले सिग्नेचर से ही 10 लाख नौकरी दे देंगे। ये तेजस्वी की अज्ञानता को दिखाता है कि यदि आप 10 लाख नौकरी दे रहे हैं तो एक कैबिनेट में एक सिग्नेचर करके कैसे 10 लाख नौकरियां दे देंगे? नौकरी देने के लिए एक प्रक्रिया है, जिसके तहत नौकरी के लिए एक नियमावली है। नौकरी में कितने पद होंगे, आवेदन की प्रक्रिया है, आवेदनकर्ता की योग्यता है। तेजस्वी ने पूरे बिहार में घूम-घूम कर लोगों से कहा कि पहले ही केबिनेट में पहला ही सिग्नेचर करेंगे और 10 लाख लोगों को नौकरियां मिल जाएंगी। अब कैबिनेट हो नहीं रही है या कलम की स्याही सूख गई है? अगर आप मुख्यमंत्री के लड़के होते हुए भी 10वीं पास नहीं कर पाएं हैं तो आपको कलम चलाना कितना आता होगा? इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी शायद सिग्नेचर करना सीख रहे हैं, जैसे ही सीख जाएंगे तो 10 लाख लड़कों को नौकरियां मिल जाएंगी।
आनंद मोहन प्रकरण में नीतीश पर बरसे
वहीं आनंद मोहन की रिहाई पर प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार ने राजनेता और प्रशासक के तौर पर सम्पूर्ण रूप से सरेंडर कर दिया है। नीतीश कुमार की ये स्थिति हो गई है कि मैं मुख्यमंत्री बना रहूं बाकि बिहार में जिसको जो करना है वो कर सकता है। नीतीश कुमार की ये स्थिति आनंद मोहन की रिहाई से नहीं हुई है, उससे पहले जब महागठबंधन की सरकार बनी थी उस समय से नीतीश कुमार इस तरह के फैसले ले रहे हैं। महागठबंधन के मंत्रिमंडल में 4 ऐसे मंत्री हैं जिनका नाम RJD की तरफ से 2015 में भी प्रस्तावित किया गया था, लेकिन उनकी दागदार छवि को देखते हुए मंत्रीमंडल में उन्हें शामिल नहीं किया गया था। वही 4 लोग आज मंत्रिमंडल में नीतीश कुमार के अगल-बगल में बैठे हुए हैं। आगे उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई से एक बात ये स्पष्ट हो रही है कि नीतीश कुमार जाति की राजनीति करते हैं, जिसकी हत्या हुई वह दलित समाज के गरीब परिवार का व्यक्ति था। नीतीश कुमार जो दलितों और पिछड़ों की राजनीति करने का दावा करते हैं, ये उस समाज के सामने बिलकुल नंगे हो गए हैं। जब आपको वोट का लाभ दिखता है तब आप गरीब, पिछड़ा और दलित सब को भूल जाते हैं। ये जो दलितों की राजनीति है वो सिर्फ अपने लाभ तक है, और ये अपने परिवार और वोट तक ही सीमित रह जाती है।