प्रशांत किशोर की सक्रिय राजनीति में पहचान 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद मिली। 2014 में प्रशांत ने भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए काम किया। बड़ी जीत मिली और प्रशांत किशोर कई दलों के नेताओं के दिल के करीब हो गए। यह अलग बात है 2014 के चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने के बाद अगले ही साल 2015 में प्रशांत ने नीतीश-लालू की मदद से भाजपा को बिहार में हरवा दिया। अब प्रशांत किशोर का दावा है कि उनके पास भाजपा को हराने का फार्मूला है। इसकी मदद से आगे के चुनाव में भाजपा को हराया जा सकता है।
प्रशांत किशोर ने बताया फॉर्मूला 4
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि देश के स्तर पर जब लोग पूछते हैं भाजपा की जीत क्यों होती है? इसका जवाब यह है कि भाजपा के जीतने के 4 प्रमुख कारण हैं। वो है विचारधारा, जिसको आप हिंदुत्व कहते हैं। दूसरा है नेशनलिज्म यानि राष्ट्रवाद, तीसरा है लाभार्थी और चौथा है उनकी ऑर्गेनाइजेशनल और फाइनेंशियल ताकत। अगर आपको भाजपा को हराना है तो किसी दल को, किसी नेता व गठबंधन को इन चार मजबूत किले-द्वारों में से तीन को तोड़ना पड़ेगा।
प्रशांत ने आगे कहा कि हमको बिहार को और बिहार की जनता को जिताना है। हमको भाजपा को नहीं हराना है। बिहार में भाजपा जीती भी है और हारी भी है। बिहार की जनता की स्थिति तो नहीं बदली। बिहार में लालू-नीतीश जीते भी हैं और हारे भी हैं। कांग्रेस जीती भी है और हारी भी है। हम लोगों ने यूपीए की सरकार देखी और 10 सालों तक एनडीए की सरकार भी देखी। इसके बावजूद बिहार से पलायन तो नहीं रुका, यहां से गरीबी तो नहीं मिटी। आपने 40 वर्षों तक कांग्रेस का भी राज देखा, भाजपा, नीतीश और लालू का भी राज देख रहे हैं। इसके बावजूद स्थिति तो नहीं सुधरी। जब तक आप समस्या के मूल को नहीं समझिएगा, जड़ को नहीं सुधारिएगा तब तक विकास संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि बिहार में 5 वर्ष लोग परेशानी झेलते हैं, लेकिन वोट के दिन सभी समस्याओं को भूल जाति-धर्म के नाम पर वोट करते हैं। जड़ में यहां के लोगों की वो प्रवृत्ति है, जहां आप 5 सालों तक अपनी समस्याओं से जूझते हैं, लड़ते हैं, गाते हैं, परेशान रहते हैं, लेकिन जिस दिन वोट देने जाते हैं उस दिन सारी समस्याओं को भूलकर जाति-धर्म के नाम पर, लालू के डर से भाजपा को और भाजपा के डर से लालू को वोट करते हैं। इसलिए आपकी समस्या सुलझती नहीं है।
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