नए साल में बिहार की राजनीति नए रंग में दिख रही है। बिहार की राजनीति में मौजूदा महागठबंधन सरकार के गठन के वक्त भले ही इस बात का दंभ दिखाया गया है कि भाजपा को अकेले छोड़ सात पार्टियों के गठबंधन की सरकार बन गई है। लेकिन अभी जो हालात बने हैं, उसमें सात दलों का गठबंधन ही सबसे बड़ी फांस बन गया है। दरअसल, सीएम नीतीश कुमार की जिम्मेदारी है कि वो सभी दलों को उचित सम्मान दें और गठबंधन बनने के दौरान हुई शर्तों का पालन हो। लेकिन राजद लगातार आरोप लगा रहा है कि नीतीश कुमार अपने वादे को पूरा नहीं कर रहे हैं।
जातिगत जनगणना पर सुनवाई की तारीख तय, कल SC दर्ज की गई थी याचिका
भले ही यह बात राजद विधायक सुधाकर सिंह के मुंह से निकली हो लेकिन राजद नेतृत्व द्वारा उन पर कार्रवाई नहीं होने पर मामला अलग ही रंग में दिख रहा है। दूसरी ओर कांग्रेस का जोश अलग ही बढ़ रहा है। एक ओर सीएम नीतीश की पार्टी जदयू 2024 के चुनाव की अपनी तैयारी में जुटी है तो दूसरी ओर कांग्रेस का भारत जोड़ो अभियान बिहार की गठबंधन सरकार को अलग थलग दिखा रहा है।
सरकार में एक पर राजनीति में अलग
बिहार की मौजूदा सरकार में सात दल शामिल हैं। लेकिन मौजूदा जो हालात चल रहे हैं, ये दल अलग अलग दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। जदयू, राजद, कांग्रेस अपनी अपनी ताकत बढ़ाने और दिखाने में आगे बढ़ रही है। जबकि वाम दलों की स्थिति वेट एंड वाच वाली है। हम (सेक्युलर) के पास खास वजूद नहीं है। इसलिए वो भी स्थिति और मुद्दों के अनुसार अपना स्टैंड रखती है। इन दलों के राजनीति की राहों के अलगाव का असर अब तक सरकार पर नहीं पड़ा। लेकिन आगे भी ऐसा नहीं होगा, यह कहना मुश्किल है।
- राजद : तेजस्वी यादव सीएम बनें, यह राजद की पहली और आखिरी लाइन है। राजद हर हाल में अब तेजस्वी यादव को सीएम के रूप में देखना चाहती है, यह बात कई बार साबित हो चुकी है। इसलिए राजद के अधिकतर नेता शांत हैं। प्रवक्ताओं को ज्यादा बोलने की मनाही है। महागठबंधन पर तो लालू यादव और तेजस्वी यादव ही बोलने के लिए अधिकृत हैं। क्योंकि राजद नेतृत्व नीतीश कुमार के तेजस्वी को नेता बनाने के वादे के बीच में किसी प्रकार की बयानबाजी नहीं आने देना चाहती। बगावती सुधाकर सिंह भी बोलते हैं तो तेजस्वी को सीएम बनाने से ज्यादा कुछ नहीं बोलते।
- कांग्रेस : बिहार की सत्ता में कांग्रेस का वजूद तब तक खास नहीं हो सकता, जबतक जदयू सत्ता से बाहर नहीं हो जाती। राजद और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाएंगे तो बिहार की सत्ता में भी कांग्रेस की भागीदारी बढ़ेगी और केंद्र की राजनीति में भी कांग्रेस को बढ़त हासिल होगी। बिहार में कांग्रेस इसी प्रयास में है कि उसकी ताकत बढ़ती रहे। भारत जोड़ो यात्रा के आयोजन से यह दिख भी रहा है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्तचरण दास की मंगलवार को तेजस्वी यादव से वन टू वन मुलाकात भी हुई है, जो अलग ही राजनीतिक खिचड़ी की ओर इशारा कर रही है।
- जदयू : बिहार में सरकार का मेन फ्रंट होते हुए भी जदयू के अधिकतर नेताओं की प्राथमिकता में बिहार शामिल नहीं है। जदयू सीधे केंद्र की ओर देख रही है। दिल्ली में सत्ता बदले, यही कोशिश कर रही है। 2025 में बिहार में महागठबंधन की बागडोर तेजस्वी यादव के हाथ में देने का लॉलीपॉप तो नीतीश कुमार ने दे दिया है। लेकिन इस कोशिश को बस यही देखा जा रहा है कि 2024 में राजद की ताकत नीतीश कुमार को प्राप्त हो। जदयू की राजनीति से राजद के नेता कितने प्रभावित होंगे, यह कहना मुश्किल है लेकिन इन बातों से बेपरवाह नीतीश कुमार ने मछली की आंख की तरह दिल्ली पर निगाहें जमाए रखी हैं।