[Team insider] कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और हेमन्त सरकार में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव पार्टी में कुछ असह से हैं क्या। यह सवाल राजनीतिक हलकों में उठ रहा है। पहले प्रदेश अध्यक्ष से किनारे हुए, अब उनके घुर विरोधी कांग्रेस के ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखेदव भगत की न सिर्फ वापसी हो गई बल्कि 17 सदस्यीय को आर्डिनेशन कमेटी में भी शामिल कर लिया गया।
पुलिस सेवा छोड़कर में आये थे राजनीति
भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे रामेश्वर उरांव की तीन साल से अधिक सेवा बाकी थी छोड़कर राजनीति में आये। मूल रूप से पलामू के रहने वाले हैं। सुखदेव भगत की कांग्रेस में इंट्री हुई तो उसी इलाके से आने वाले भवनाथपुर से भाजपा विधायक, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भानू प्रताप शाही ने अपने फेसबुक पर रामेश्वर उरांव की तस्वीर लगाते हुए लिखा ” रामेश्वर चाचा का भाजपा में स्वागत है।” बड़ी संख्या में लाइक, कमेंट और पोस्ट को शेयर किया गया। तत्काल बाद भानू प्रताप ने एक लंबा पोस्ट भी लिख डाला।
हंसी मजाक चलता रहता है ….
रामेश्वर उरांव भानू प्रताप के पोस्ट पर कहते हैं कि दोनों का घर पलामू में एक ही जगह है। वह चाचा बोलता है, मैं भतीजा बोलता हूं। हंसी मजाक चलता रहता है जीवन में। काहे को सीरियस रहा जाये।
शुरू से कांग्रेस का रहा प्रभाव
वे कहते हैं मेरा परिवार कांग्रेसी रहा, पिता चाचा सब। गांव के करीब के नेता आते थे, उनका भी प्रभाव रहा। युवा अवस्था में घोर कम्युनिष्ट था। उम्र बढ़ती गई कांग्रेस की ओर झुकाव होता गया। इसकी धर्म निरेपक्षता की नीति को लेकर। यह छोटे धर्म के लोगों का बचाव करती रहती है, सामाजिक सौहार्द पर इसका विश्वास था। आकर्षित होने का कारण यही था। और छोटी पार्टी का वजूद अपने राज्य तक ही मोटे तौर पर सीमित रहता है। 2004 में वीआरएस लिया। साढ़े तीन साल शेष था।
लालू ने दिया था अध्यक्ष व सांसद का ऑफर
लालू से बहुत अच्छा संबंध रहा सेवा के दौरान। उन्होंने कहा आइए मेरे साथ, आप को झारखंड का प्रदेश अध्यक्ष बना दूंगा जब तक मैं हूं। राज्यसभा का सदस्य भी बना दूंगा। मैंने मन ही मन कहा नहीं। और भाजपा भी बुलाती रही, बाबूलाल मरांडी और सरयू राय दोनों। उस समय सबसे बड़े नेता वही थे यह बात अलग थी कि अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बना दिया गया था।
शिबू सोरेन की डांट, मुकुंद बाबू की सलाह
गुरूजी यानी शिबू सोरेन पकड़े रहते थे। कांग्रेस में जाने पर डांटा कि रामेश्वर बाबू आपको इतना मानते हैं, पार्टी मानती है। आप उधर चले गये। मैंने कहा झारखंड में ही न रहेंगे, साथ न रहेंगे, मिल के काम करेंगे। मुकुंद बाबू ने सलाह दी थी कि नेशनल पार्टी में जाइए, क्षेत्रीय पार्टी में नहीं।
नौकरी में रहते सोनिया से मुलाकात
नेशनल पार्टी में जाना था, सोनिया गांधी जी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर कांग्रेस में गया। नौकरी में रहते हुए, एडीजी झारखंड में रहते हुए 15 मिनट बात हुई थी।
भानू प्रताप शाही ने पोस्ट में यह लिखा
” रामेश्वर चाचा जी, प्रणाम। आप अनुभवी हैं, बातों को समझ ही रहे होंगे कि कैसे आपको कांग्रेस किस्तों में किनारे लगाने का काम कर रही है, इनाम की जगह आपको अपमानित किया जा रहा है। आपके नेतृत्व में ही झारखंड बनने के बाद कांग्रेस का सबसे बेहतर प्रदर्शन 2019 के विधानसभा चुनाव में रहा। पर आपको इसका ईनाम मिला ? आप खुद सोचिये पहले आपको प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया, खैर एक व्यक्ति एक पद की नीति के तहत ऐसा हुआ, पर हद तो यह है आपके धुर विरोधियों को पार्टी में उच्च आसान दे दिया गया, आप चुप हैं क्योंकि आपकी अब कोई सुन नही रहा है ? यह काग्रेंस है चाचा, यहां प्रतिभा की कद्र नही होती बस यूज एंड थ्रो की नीति पर काम होता है, अब बस इसकी घोषणा सुनने के लिए आप यदि पार्टी में हैं कि आप अगले चुनाव लड़ने के लिए फिट नही कह कर आपका टिकट भी काट दिया जाये तो ठीक ही है !
अभी वक्त है चाचा कुछ सोचिए नही तो देर हो जायेगी, यह सलाह हम भाजपा के नेता या विधायक होने के नाते नही दे रहे हैं, बल्कि आपकी जन्मभूमि पलामू ही है और मेरी भी ऐसे में एक ही इलाके का होने के नाते आपके खिलाफ कांग्रेस द्वारा किये जा रहे राजनीतिक साजिश को देख कर अंत्यत पीड़ा हुई इसलिए अपनी भावना व्यक्त कर रहा हूं।
राजा मेदिनीराय राय की गौरवशाली शासनकाल की परंपरा रही है
कृपया आप इसे अन्यथा नही लेंगे, पलामू का पानी तो जुल्म और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने का रहा है, शहीद नीलांबर -पीतांबर की धरती से हम आते हैं, राजा मेदिनीराय राय की गौरवशाली शासनकाल की परंपरा रही है, उस माटी का लाल रामेश्वर उराँव जी के साथ कांग्रेस जिस तरह षड्यंत्र कर रही है उस देखकर मन में पीड़ा होना स्वाभाविक है, इसलिए इसके राजनीतिक मायने न निकालें बल्कि इसे इस रूप में देखे कि पलामू प्रमंडल के नेता हों या आमजन उसे किस तरह उपेक्षित और शोषित करने का काम शासन और सत्ताधारी संगठन के स्तर पर हो रहा है।
इसकी एक बानगी हमारे रामेश्वर चाचा के साथ हो रहा राजनीतिक षड्यंत्र है ! इसलिए बात किसी व्यक्ति के मान सम्मान का नही है यह मसला पलामू प्रमंडल के मान-सम्मान, स्वाभिमान का है इसलिए चुप्पी तोड़िये रामेश्वर चाचा क्योंकि वीर इतिहास रटते नही बल्कि रचते है ..