जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने एक बार फिर बड़ा आरोप लगाया है। राजद ने पीके पर बड़ा हमला बोलते हुए बाजारू, डाटा चोर और बीजेपी का जासूस बताया है। एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए राजद ने लिखा है कि नीतीश कुमार ने खुलेआम टीवी चैनलों में कई बार कहा है कि उन्होंने बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बारंबार आग्रह करने पर उसे अपनी पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था लेकिन वह हमारी पार्टी में आकर गड़बड़ करने लगा तो उसे हटा दिया।
नीतीश कुमार की इस बात का खंडन ना तो आज तक अमित शाह ने किया और ना ही प्रशांत किशोर पांडे ने। सीधा-स्पष्ट है कि वह जेडीयू में बीजेपी का प्लांटेड जासूस था और अब वह BJP के payroll पर बीजेपी की मदद के लिए एक पार्टी बना पिछले दरवाज़े से प्रत्यक्ष रूप से मोदी-शाह के लिए काम कर रहा है। शिखंडी बाज़ारू का यही काम होता है कि पहले किसी पार्टी का काम के बहाने डेटा चुराओ और अगले चुनाव में इसे बीजेपी को दे दो।
ऐसा व्यापारी आदमी व्यापार करने से बाज तो आता नहीं इसलिए विपक्ष का वोट काटने के नाम पर अब बीजेपी फंड दे रही है। इससे उसका धंधा ही चल रहा है। गुजरात का एक बड़ा व्यापारी झारखंड की तरह बिहार में पैर जमाने और यहाँ के खनिज लूटने के लिए फंड दे रहा है, South की शराब लॉबी बिहार से शराबबंदी हटाने के नाम पर फंड दे रही है. इसलिए ही बाज़ारू आदमी ने 2000 से अधिक लोगों को Paid Worker रख गाँधी की फोटो लगा शराबबंदी हटाने तथा बिना किसी विचारधारा, दृष्टि, नीति, नियम और सिद्धांत के धन-सुराज लाने की ठानी है।
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ई बिहार है बव्वा बिहार! यहाँ का दलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा और मुसलमान बहुत जागरूक हो चुका है। वो जानते है कि जातिवादी एवं बिकाऊ मीडिया के सहारे यह BJP का प्रयोग, Baby Product और Project है। वंचितों, उपेक्षितों का चरित्रहनन कर उन्हें भ्रमित करने में शायद इनके पूर्वज सफल हुए होंगे लेकिन अब उनके वंशजों को ऐसा नहीं करने देंगे। गंगा-गंडक, कोसी-कमला-बागमती, सोन-पुनपुन और फल्गु में बहुत पानी बह चुका है।
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पोस्ट में राजद ने एक नोट भी लिखा है कि राजद ने चुनावी प्रबंधन के लिए कभी भी किसी एजेंसी और व्यक्ति से आजतक सेवा नहीं ली है। अगर कोई ऐसा दावा करता है तो सस्ती लोकप्रियता के लिए निराधार दावा करता है। हमारे नेता आदरणीय श्री लालू प्रसाद जी नेता और दल बनाने की संस्था है। जितना ऐसे पाखंडी लोगों का उम्र नहीं उतना लालू जी का संसदीय जीवन का अनुभव है। लेकिन यह बताओ, अमित शाह का जदयू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का क्या उद्देश्य था? यह रिश्ता क्या कहलाता है?