बिहार में राजद के लिए मुश्किलें खत्म नहीं हो रही हैं। अगस्त 2022 में सत्ता का सफर शुरू हुआ और जनवरी 2024 में राजद सत्ता से बाहर हो गई। इस बीच एनडीए की नई सरकार के विश्वासमत परीक्षण के दौरान राजद के तीन विधायकों ने पार्टी की लाइन के खिलाफ जाकर बगावत कर दी। चेतन आनंद, नीलम देवी और प्रहलाद यादव ने नीतीश सरकार के विश्वासमत परीक्षण के दौरान सत्तापक्ष की ओर शामिल हो गए। उन्होंने वोट नीतीश कुमार को सीएम बनाए रखने के लिए किया। अब राजद के एक और विधायक की मुश्किल बढ़ गई है। यह मुश्किल कानूनी है, जिसमें विधायक प्रेमशंकर यादव के निर्वाचन को चुनौती दी गई थी।
दरअसल, गोपालगंज जिले की बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर 2020 में पहली बार विधायक चुने गए राजद के प्रेमशंकर यादव के निर्वाचन को चुनौती भाजपा नेता मिथिलेश तिवारी ने दी थी। मिथिलेश तिवारी बैकुंठपुर से 2015 में विधायक रहे हैं लेकिन 2020 में उन्हें प्रेमशंकर यादव ने हरा दिया। इसी दौरान मिथिलेश तिवारी ने प्रेमशंकर यादव पर चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामले और संपत्ति की जानकारी छुपाने का आरोप लगाया। मामला हाई कोर्ट में गया। अब कोर्ट ने प्रेमशंकर यादव पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया है। प्रेमशंकर यादव पर उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर काफी देर से जवाब दायर करने पर अदालत ने यह आदेश दिया है। हालांकि, कोर्ट ने जुर्माना लगाने के साथ कहा कि प्रतिवादी को एक मौका दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने चुनाव याचिका का पूरा रिकॉर्ड देखने के बाद पाया कि जवाब देने में जानबूझ कर देरी की गई है।
जस्टिस अरुण कुमार झा की एकलपीठ ने मिथलेश कुमार तिवारी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई। अब इस मामले पर 27 फरवरी को सुनवाई होगी।