लोकसभा चुनाव में बिहार से 4 विधायकों ने जीत दर्ज की। तो दूसरी ओर राज्यसभा में पहले से सांसद दो नेताओं ने भी लोकसभा में जीत दर्ज की। इसमें पहला नाम मीसा भारती का है, जिन्हें पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से जीत मिली है। मीसा भारती का राज्यसभा कार्यकाल 2028 तक था। लेकिन मीसा के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद यह सीट खाली हो गई है। दूसरा नाम भाजपा के विवेक ठाकुर का है, जिन्हें नवादा सीट से जीत मिली है। विवेक ठाकुर का राज्यसभा में कार्यकाल 2026 तक था। लेकिन अब इस सीट पर भी उपचुनाव होगा। वैसे उपचुनाव में यह दोनों सीटें एनडीए के खाते में आनी तय मानी जा रही है। इससे सीधा नुकसान राजद को होना तय माना जा रहा है। जबकि जदयू को एक सीट का फायदा हो सकता है।
बहुमत से होगा राज्यसभा उपचुनाव में जीत-हार का फैसला
आपको बता दें कि राज्यसभा के उपचुनाव में जीत हार का फैसला राज्य की विधानसभा में बहुमत का आधार होता है। फिलहाल बहुमत एनडीए के पास है। ऐसे में राजद के किसी उम्मीदवार का मीसा भारती के स्थान पर उपचुनाव में राज्यसभा जाना मुश्किल ही है। राजद को अगर महागठबंधन के सभी दलों का पूरा सहयोग मिलता है तो भी राजद के उम्मीदवार को 114 वोट से अधिक मिलने की उम्मीद नहीं है। इन वोटों में भी कमी आ सकती है क्योंकि तीन राजद विधायकों नीलम देवी, चेतन आनंद और प्रहलाद यादव ने पहले से ही पार्टी लाइन तोड़ दी है। इसके अलावा राजद के सुधाकर सिंह और सुरेंद्र यादव लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। जबकि सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद भी लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में राजद उम्मीदवार को 110 से भी कम वोट मिलने की आशंका है, जो उसके बहुमत से कहीं कम है।
राजद के उम्मीदवार को बहुमत में पिछड़ने से राजद को सीधा नुकसान होगा लेकिन जदयू को बड़ा फायदा हो सकता है। संभावना है कि इस खाली सीट पर जदयू अपने उम्मीदवार को राज्यसभा भेज दे, जिसके लिए भाजपा का मान जाना अपेक्षित है। अभी जदयू के 4 सांसद राज्यसभा में हैं। मीसा भारती को हटा दें तो राजद के भी चार सांसद हैं। विवेक ठाकुर को छोड़ दें तो भाजपा के पास बिहार से राज्यसभा में 3 सांसद बचेंगे। जबकि कांग्रेस के पास 1 राज्यसभा सांसद हैं। उपचुनाव में विवेक ठाकुर वाली सीट पर तो कोई परेशानी नहीं है। भाजपा के चार सांसद हो जाएंगे। लेकिन मीसा भारती वाली सीट पर जदयू के उम्मीदवार को राज्यसभा में एंट्री मिल सकती है।