बिहार में लालू परिवार राजनीति में पिछले 47 सालों से सक्रिय है। लालू यादव 1977 में पहली बार सांसद बने। तब लालू अपने परिवार से अकेले व्यक्ति थे, जो राजनीति में सक्रिय थे। इसके 20 साल बाद 1997 में लालू यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना कर सक्रिय राजनीति में प्रवेश कराया। राबड़ी देवी के बाद उनके दोनों बेटों ने 2015 में विधानसभा चुनाव जीत कर राजनीति में प्रवेश किया। जबकि बेटी मीसा भारती ने 2014 के लोकसभा चुनाव में चुनावी राजनीति की शुरुआत की। हालांकि तब मीसा चुनाव हार गईं और 2016 में राज्यसभा भेजीं गईं। अब लालू परिवार की छठी सदस्य राजनीति में प्रवेश को तैयार हैं। लालू यादव ने अपनी बेटी रोहिणी आचार्य के लिए राजनीति में पदार्पण के लिए सारण लोकसभा सीट का चुनाव किया है। इस सीट से लालू यादव भी सांसद रहे हैं और राबड़ी देवी भी यहां से चुनाव लड़ चुकी हैं। अब संभावना है कि 2024 में सारण लोकसभा सीट से रोहिणी आचार्य चुनाव लड़ेंगी।
लालू ने अपने एक और सिपाही को किया लॉन्च, राजनीति में बढ़ सकती रोहिणी आचार्य की सक्रियता
लालू ने महारैली में किया इशारा
रोहिणी आचार्य के चुनाव लड़ने की चर्चा तो पहले से ही थी। लेकिन 3 मार्च को गांधी मैदान में हुई जनविश्वास महारैली में लालू परिवार की ओर से इशारा मिल गया कि रोहिणी आचार्य अब चुनावी मैदान में एंट्री करेंगी। लालू यादव ने महारैली में रोहिणी का परिचय कराते हुए कहा कि “मेरा किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है। मेरी बेटी रोहिणी यहीं है, उसने अपनी किडनी दी है।” उस वक्त रोहिणी आचार्य भी मंच पर ही मौजूद थीं। रोहिणी ने मंच से खड़े होकर सबका अभिवादन भी किया। इससे पहले बोलते हुए तेजप्रताप यादव ने भी रोहिणी आचार्य के बारे में चर्चा की।
रोहिणी आचार्य की तरह मीसा की भी ऐसे ही हुई थी एंट्री
लालू यादव अपने परिवार के सदस्यों को चुनाव में एंट्री कराने से पहले राजनीतिक रैलियों का सहारा लेते रहे हैं। राबड़ी देवी को तो अचानक राजनीति में लाना पड़ा। लेकिन उसके बाद लालू यादव ने अपने परिवार के हर सदस्य को राजनीतिक रैलियों में इंट्रोड्यूस किया है। मीसा भारती को 2014 में लालू यादव ने चुनाव लड़ाया। लेकिन उससे पहले 2013 में गांधी मैदान में हुई परिवर्तन रैली में लालू यादव ने मीसा भारती का राजनीतिक इंट्रोडक्शन दिया था। इसी तरह तेज प्रताप यादव को भी परिवर्तन रैली के जरिए ही राजनीति में आगे बढ़ाया था। जबकि तेजस्वी यादव को तो लालू ने 2010 में ही चुनावी रैलियों में उतार दिया था। 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद की ओर से लालू यादव और प्रभुनाथ सिंह के बाद तेजस्वी यादव ने सबसे अधिक रैलियों में हिस्सा लिया था। हालांकि तब तेजस्वी चुनाव नहीं लड़े। उन्होंने पहला चुनाव 2015 में लड़ा।
सारण सीट से लालू परिवार का खास लगाव
बिहार में सारण लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां से लालू यादव सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा राबड़ी देवी ने भी यहां से चुनाव लड़ा है। 2008 के पहले सारण लोकसभा सीट छपरा सीट के नाम से जानी जाती थी। 1977 में लालू यादव यहीं से पहली बार सांसद बने थे। वैसे तो पिछले दो चुनावों में यहां से भाजपा के राजीव प्रताप रुडी चुनाव जीत रहे हैं लेकिन सारण सीट राबड़ी देवी की हार के बाद भी लालू परिवार के लिए लगभग सुरक्षित मानी जाती है। इसीलिए लालू यादव ने रोहिणी आचार्य के लिए सारण सीट का चुनाव किया है। वैसे तो लालू परिवार की बेटियों के लिए चुनावी राजनीति खास अच्छी नहीं रही है। 2016 से राज्यसभा सांसद लालू की बड़ी बेटी पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र से दो बार चुनाव हार चुकी हैं। लेकिन रोहिणी के साथ मामला थोड़ा अलग है। मीसा भारती वो दोनों चुनाव हारीं जब उनकी पार्टी बिहार की सत्ता में नहीं थी और देश में नरेंद्र मोदी की लहर थी। लेकिन इस बार बिहार में उनकी पार्टी सत्ता से अभी अभी हटी है। साथ ही रोहिणी द्वारा अपनी किडनी देकर पिता का जीवन बचाने वाली छवि का भी जनता के बीच अच्छा मैसेज है।