लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखें नजदीक आते ही बिहार में एनडीए और महागठबंधन दोनों ही मोर्चों में सीटों का बंटवारा और उम्मीदवारों के चयन को लेकर गतिविधियां तेज हो गई हैं। एनडीए में भाजपा के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द रालोजपा और लोजपा-रा के बीच का विवाद है। भाजपा दोनों धड़ों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है।
मंगल पांडेय और विनोद तावड़े की पहल
भाजपा विधान पार्षद मंगल पांडेय और बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने पशुपति कुमार पारस से मुलाकात कर सुलह करवाने का प्रयास किया। तावड़े को पारस ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे हाजीपुर से ही चुनाव लड़ेंगे। दूसरी तरफ, चिराग पासवान पांच लोकसभा और एक राज्यसभा सीट की मांग पर अड़े हुए हैं।
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। भाजपा 17 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। 16 सीटें जदयू के खाते में जा सकती हैं। शेष सात सीटों पर चार पार्टियों – पशुपति कुमार पारस, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा – की दावेदारी है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मांझी और कुशवाहा को एक-एक सीट मिल सकती है। वीआईपी के मुकेश सहनी के एनडीए में शामिल होने पर उन्हें भी एक सीट दी जा सकती है। शेष चार सीटों का बंटवारा चाचा-भतीजे (पशुपति पारस और चिराग पासवान) के बीच होगा।
2019 चुनाव की तुलना में सीटों में बदलाव संभव
2019 लोकसभा चुनाव में लोजपा ने जिन छह सीटों पर जीत हासिल की थी, उनमें बदलाव हो सकता है। भाजपा नवादा सीट अपने खाते में रखना चाह रही है, जबकि चिराग पासवान को बदले में कोई दूसरी सीट मिल सकती है। हाजीपुर, समस्तीपुर और जमुई की सीटें यथावत रह सकती हैं।
एनडीए में सीटों का बंटवारा अभी अंतिम रूप नहीं ले पाया है। चाचा-भतीजे के बीच रस्साकशी जारी है। 2019 चुनाव की तुलना में सीटों में बदलाव भी संभव है।