दिल्ली: कांग्रेस लगातार संविधान को लेकर सत्ता पक्ष को घेर रही है, और सरकार को संविधान विरोधी बता रही है। लेकिन अब लोकजनशक्ति पार्टी (राम विलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने उल्टा कांग्रेस को ही संविधान विरोधी बता दिया है। शांभवी चौधरी ने कहा कि कांग्रेस हमें संविधान विरोधी, आरक्षण विरोधी कहती है, लेकिन जिस तरह से पिछले 37 सालों में उनके तीन प्रधानमंत्रियों ने आरक्षण के खिलाफ बयान दिए हैं, आरक्षण विरोधी सोच रखी है, हम उनसे पूछना चाहते हैं कि जब बिहार दंगों में जल रहा था, तब उनका संविधान के प्रति प्रेम कहां था? विपक्ष के लोग संविधान की बात नहीं कर रहे हैं।
इससे पहले सांसद शांभवी चौधरी ने शुक्रवार को कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष पर जोरदार पलटवार किया। शांभवी ने सदन को संबोधित करते हुए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के द्वारा आरक्षण को लेकर अलग-अलग समय में दिए गए बयानों का संसद में जिक्र किया। शांभवी चौधरी ने राजीव गांधी के द्वारा मार्च 1985 में दिए एक इंटरव्यू का जिक्र करते हुए कहा, ‘राजीव गांधी ने कहा था कि आरक्षण के नाम पर इडियट्स को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। ऐसे लोग देश का नुकसान करते हैं।
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शांभवी चौधरी ने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्रियों- पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने कभी न कभी आरक्षण का विरोध किया था। कांग्रेस पार्टी को लगता था कि इस व्यवस्था से दोयम दर्जे के नागरिक आते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने संविधान के सिद्धांतों को अटल रखा है और संविधान को मजबूत करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का काम भी प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने किया।
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शांभवी ने कहा, ‘सबसे पहले जवाहर लाल नेहरू ने 1961 में लिखा था कि मैं किसी भी तरीके से आरक्षण को पसंद नहीं करता हूं। खासकर नौकरी में। मैं ऐसे किसी भी तरीके का विरोध करता हूं जिसके जरिए अक्षम लोगों को बढ़ावा दिया जाता है। वहीं, इंदिरा गांधी ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट पर कहा था कि एक ऐसा तरीका अपनाइए जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी नहीं टूटे।’