समाजवादी नेता शरद यादव नहीं रहे। तीन राज्यों से नौ बार लोकसभा के लिए निर्वाचित शरद यादव का राजनीतिक जीवन एक मिसाल ही रहा है। राज्यसभा सांसद भी रहे, केंद्र में मंत्री भी रहे। बिहार में सत्ता चलाने वाली पार्टी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। लालू यादव और नीतीश कुमार के अलग अलग वक्त में करीभी भी रहे। लेकिन उनके राजनीतिक जीवन में एक वक्त ऐसा भी आया था, जब उनसे उनका पद और उनका घर दोनों ही छीन लिया गया। आज भले ही उनकी याद में नेताओं के आंसू बहती तस्वीरें, वीडियो और टेक्स्ट संदेशों की बाढ़ आई है। लेकिन एक वक्त वो भी शरद यादव ने देखा जब 22 साल जिस घर में बिताया, वो उन्हें इसलिए खाली करना पड़ा क्योंकि वे राज्यसभा नहीं भेजे गए।
75 साल की उम्र में पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का निधन
लालू ने नहीं दिया था साथ!
31 मई 2022 को शरद यादव ने बतौर केंद्रीय मंत्री और सांसद के रूप में 22 साल बिताने के बाद 7 तुगलक रोड वाल बंगला खाली कर दिया। आवास खाली करने के बाद उन्होंने कहा था, “समय आता है और चला जाता है। मैं 50 साल से लुटियंस जोन में हूं। मैं 7 तुगलक रोड पर 22 साल से हूं। समय बदलता रहता है।” शरद यादव को यह बंगला तब खाली करना पड़ा जब वादा करने के बावजूद राजद ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा। अपनी पार्टी का विलय कराने के बाद शरद यादव ने लालू यादव की राजद ज्वाइन कर ली थी। लेकिन लालू यादव ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा। इसके बारे में पूछे जाने पर शरद यादव का दर्द भी झलका था। उन्होंने कहा था कि बेहतर यही है कि अब कहानी को पीछे छोड़ दिया जाए, क्योंकि हर जगह राज्यसभा के टिकट तय हो गए हैं।
नीतीश से भी नहीं बनी
वैसे तो शरद यादव जनता दल यूनाइटेड के सबसे लंबे वक्त तक राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहने वाले नेता रहे। लेकिन इस पद से भी उन्हें एक तरह से हटाया गया। उन्हें हटाकर नीतीश कुमार खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। एक वक्त वो भी आया जब नीतीश कुमार ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि शरद यादव को पार्टी छोड़ देना पड़ा। दरअसल, 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से बाहर निकल एनडीए के साथ जाने का निर्णय लिया। शरद इस निर्णय के खिलाफ थे। लेकिन नीतीश कुमार ने शरद यादव की एक नहीं सुनी और एनडीए के साथ हो गए। पांच साल बाद फिर नीतीश कुमार महागठबंधन में लौटे लेकिन तब तक शरद यादव और नीतीश कुमार का साथ छूट चुका था।