शिवहर, बिहार का सबसे छोटा जिला है। युवा भी है। 6 अक्टूबर 1994 को सीतामढ़ी जिले का अनुमंडल शिवहर, अलग जिले के रूप में परिवर्तित हो गया। शिवहर को भले ही जिला के रूप में पहचान बाद में मिली, लेकिन यह धरती पहले से आस्था और भक्ति का केंद्र रही है। भगवान शिव और हरि के मिलन की भूमि शिवहर का रामायण और महाभारत काल से सीधा संबंध रहा है। लेकिन फिलहाल त्रेता और द्वापर युग से बाहर निकल कलयुग में शिवहर लोकसभा क्षेत्र के बारे में हम बात करते हैं।
जीत की हैट्रिक लगा चुकी भाजपा बदल सकती है खिलाड़ी, ऐसा हुआ तो 30 साल पुराना इतिहास बदलेगा
शिवहर इन दिनों एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। कारण हैं यहां के सांसद रहे आनंद मोहन। बिहार सरकार ने आनंद मोहन को डीएम की हत्या के आरोप साबित होने के बाद कोर्ट से मिली उम्र कैद से रिहा कर दिया है। यह पहली बार नहीं है, जब शिवहर आनंद मोहन की वजह से सुर्खियों में आया है। आनंद मोहन ने शिवहर से दो बार लोकसभा का चुनाव जीता है। शिवहर ही वो क्षेत्र है जिसके सांसद को मौत की सजा सुनाई गई थी। वो सांसद थे आनंद मोहन। उनके फांसी की सजा तो उम्र कैद में बदल गई लेकिन उनके नाम का दाग शिवहर से जुड़ गया। वैसे शिवहर लोकसभा सीट रामदुलारी सिन्हा, हरिकिशोर सिंह का भी क्षेत्र रहा है, जो अपने वक्त में केंद्रीय मंत्री भी रहे थे।
तीन बार से भाजपा का कब्जा
वैसे पिछले तीन लोकसभा चुनावों में शिवहर क्षेत्र का इतिहास देखें तो भाजपा का कब्जा रहा है। पिछले तीन चुनावों में अनवारुल हक ने दो बार अलग अलग पार्टियों से भाजपा की रमा देवी को टक्कर देने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए। 2009 में अनवारुल हक बसपा के टिकट पर लड़े तो 1.25 लाख वोटों से हारे। 2014 में राजद ने अनवारुल को टिकट दिया तो हार का अंतर 1.36 लाख हो गया। 2019 में राजद ने फैसल अली को टिकट दिया। फैसल को रमा देवी ने 3.40 लाख वोटों से हराया।
भाजपा बदल सकती है उम्मीदवार
2024 के लोकसभा चुनाव के बारे में कयास यह लगाया जा रहा है कि भाजपा रमा देवी का टिकट काट सकती है। इसके पीछे की वजह रमा देवी की उम्र बताई जा रही है। 2024 में रमा देवी की उम्र 76 वर्ष होगी। ऐसे में माना जा रहा है कि उनका टिकट कट सकता है। वैसे रमा देवी का ट्रैक रिकॉर्ड तो इस सीट पर शानदार रहा है। ऐसे में उनका रिप्लेसमेंट ढूंढ़ने में भाजपा को खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है।
आनंद मोहन के असर की चर्चा
दूसरी ओर आनंद मोहन अब जेल से बाहर हैं। शिवहर उनकी सीट रही है। अभी उनके बेटे चेतन आनंद शिवहर से ही विधायक हैं। चेतन राजद में हैं, इसलिए आनंद मोहन को भी राजद में ही माना जा सकता है। ऐसे में चर्चा यह है कि शिवहर सीट पर एक बार आनंद मोहन परिवार चुनावी मैदान में उतर सकता है। चर्चा लवली आनंद की है। जो 2009 में भी शिवहर सीट से किस्मत आजमा चुकी हैं। लेकिन सिर्फ 81479 वोटों के साथ चौथे स्थान से उन्होंने संतोष करना पड़ा था।
विधायकों का समीकरण भाजपा के पक्ष में
आनंद मोहन के तो महागठबंधन में रहने की चर्चा है लेकिन 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जीते विधायकों का समीकरण भाजपा के पक्ष में है। शिवहर लोकसभा सीट इस मामले में भी थोड़ा अजूबा है। इस लोकसभा सीट के अंतर्गत तीन जिलों की छह विधानसभा सीटें हैं। इसमें शिवहर की सीट तो आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद के पास है, जो राजद से विधायक हैं। इसके अलावा सीतामढ़ी जिले की बेलसंडी सीट राजद के पास है। जबकि सीतामढ़ी की रीगा सीट भाजपा के पास है। वहीं पूर्वी चंपारण की तीन सीटें इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। इनमें मधुबन, चिरैया और ढ़ाका सीट शामिल है। ये तीन सीटें भाजपा ने जीती हैं।