पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के आखिरी दौर में आज तेलंगाना में वोटिंग पूरी हो गई है। इससे पहले राज्यस्थान, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ में भी वोटिंग हो चुकी है। सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। नतीजे से पहले प्रत्येक राज्य का गुना-गणित आपको इस खबर में बताएँगे।
राव लगाएंगे हैट्रिक या मिलेगा नया CM ?
तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए आज यानि 30 नवंबर को वोटिंग पूरी हो गई। तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों के लिए एक ही चरण में आज वोटिंग हुई। तेलंगाना में बहुमत के लिए 60 सीटों की आवश्कता होती है। 2014 में तेलंगाना राज्य बनने के बाद से अबतक यहाँ एक ही मुख्यमंत्री का शासन है। वो हैं BRS के नेता के.चंद्रशेखर राव। तेलंगाना में अब तक कुल दो बार ही विधानसभा चुनाव हुए हैं और दोनों ही बार सीएम के.चंद्रशेखर राव ही बने हैं। इस बार के.चंद्रशेखर राव के पास हैट्रिक लगाने का मौका है। ये देखना खास होगा कि के.चंद्रशेखर राव हैट्रिक लगा पाते है या तेलंगाना को कोई नया मुख्यमंत्री मिलेगा।
मध्यप्रदेश में ‘कमल’ या कमलनाथ?
17 नवंबर को मध्यप्रदेश विधानसभा की 230 सीटों के लिए वोटिंग हुई थी। यहाँ बहुमत के लिए 116 सीटों की आवश्कता होती है। इस बार मध्य प्रदेश में 76.22 प्रतिशत वोटिंग हुई है। पिछली बार यहाँ 75.45 फीसदी वोटिंग हुई थी। पिछली बार विधानसभा चुनाव के परिणाम त्रिशंकु थे। किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। सपा, बसापा और अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार भी बना लिया। लेकिन कुछ ही समय बाद कांग्रेस के टूट हुई और ज्योतिरादित्य सिंधिया 22 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए।
कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई। वही भाजपा ने सरकार बना ली और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने। मतलब पांच साल में मध्य प्रदेश ने दो सरकारें देख ली। इस बार के चुनाव में भी ये देखना खास होगा कि कांग्रेस और भाजपा में से किसी एक को बहुमत मिलाता है या फिर त्रिशंकु वाली स्थिति बनेगी। पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश की एक चुनावी रैली में कहा कि था कि उम्मीदवार कोई भी हो बस कमल के निशान पर वोट करना है। अब कमल और कमलनाथ की लडाई में किसकी जीत होगी ये तो 03 दिसंबर को ही पता चलेगा।
राजस्थान में बदलेगा ताज या जारी रहेगा रिवाज?
अगला राज्य राजस्थान है जहाँ विधानसभा की 200 सीट है। लेकिन एक सीट पर उम्मीदवार की मौत के कारण 199 सीटों पर एक चरण में 23 नवंबर को वोटिंग हुई। इस बार राज्यस्थान में 75.45 फीसदी वोटिंग हुई है। बता दें कि पिछली बार राज्यस्थान में 74.71 फीसदी वोटिंग हुई थी।राजस्थान विधानसभा में हर बार सत्ताधारी दल का चुनाव हार जाने का रिवाज है। 2018 के चुनाव में राजस्थान की जनता ने कांग्रेस की सरकार बनवाई। रिवाज के लिहाज से भाजपा ने उम्मीदें पाल रखीं हैं। तो अशोक गहलोत सरकार को भरोसा है कि उनके पांच साल के काम के आधार पर जनता इस बार रिवाज बदलेगी।
छतीसगढ़ में कांग्रेस की उम्मीद काका, BJP भी दिखाएगी दम
छतीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटों के लिए 7 नवंबर और 17 नवंबर को यानि दो चरणों में वोटिंग हुई। इस बार छतीसगढ़ में 68 फीसदी वोटिंग हुई है। बता दें कि फ़िलहाल छतीसगढ़ में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है। कांग्रेस के भूपेश बघेल सीएम हैं। कांग्रेस से पहले यहाँ 15 सालों तक भाजपा का कब्ज़ा था। लेकिन 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी। इस बार कांग्रेस के सामने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी करने की चुनौती है। छतीसगढ़ में कांग्रेस की सीएम भूपेश बघेल हैं। वहीं भाजपा भी अपने पुराने गढ़ पर जीत हासिल करने के लिए पूरा दम लगा रही है।
मिजोरम में किसकी सरकार?
मिजोरम की 40 विधानसभा सीट के लिए 7 नवंबर को वोटिंग हुई। यहाँ बहुमत के लिए 21 सीटों की आवश्कता है। इस बार मिजोरम में 80.66 फीसदी वोटिंग हुई है। अलग राज्य बनने के बाद मिजोरम में अब तक आठ चुनाव हुए हैं। पहला चुनाव 1987 में हुआ था, जिसे मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने जीता था। इसके बाद 1989 और 1993 में हुए दोनों चुनाव कांग्रेस ने जीते। लेकिन 1998 और 2003 के चुनाव एमएनएफ ने जीते। 2013 में हुए सातवें चुनाव में कांग्रेस ने वापसी। लेकिन 2018 के चुनाव में एक बार फिर एमएनएफ के हाथ बाजी रही। अब तक हुए चुनावों में चार बार एमएनएफ को जीत मिली है जबकि चार बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। पिछले चुनाव में एमएनएफ को 26 सीटें मिली थी। जबकि कांग्रेस को 05, जोरम पीपुल्स मूवमेंट को 08 और भाजपा को 01 सीट पर जीत मिली थी।