मैसूर-दरभंगा बागमती एक्सप्रेस ट्रेन हादसे को लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस ने लगातार हो रेल हादसों को लेकर सरकार पर सवाल उठाया है। कांग्रेस के एक्स हैंडल से लिखा गया है कि कल रात तमिलनाडु में हुए रेल हादसे की जो तस्वीर और वीडियो आ रही है, वो बेहद भयानक है। ये बताता है कि हादसा कितना बड़ा था। देश में रोज कहीं न कहीं रेल हादसे हो रहे हैं और जिम्मेदारी के नाम पर कुछ नहीं है। रेल मंत्री इसे ‘छोटी घटना’ बताकर यात्रियों को अपने हाल पर छोड़ चुके हैं।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस कावराईपेट्टई रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी से टकराने पर कहा, “हर हफ़्ते लगातार ट्रेन हादसों की खबरें आती रहती हैं और ये ऐसा हादसा है जिसमें आप ये भी नहीं कह सकते कि किसी ने पत्थर या सिलेंडर रखा था। ये ट्रेन लूप लाइन पर गई और वहां एक मालगाड़ी से टकरा गई। आपकी सिग्नलिंग, सुरक्षा कहां है? लोगों ने रेल मंत्री से सवाल पूछना बंद कर दिया है। प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए, कवच कहां गई? क्या ये पूरी कवच सिर्फ़ उनकी छवि के लिए है या भारत के रेल यात्रियों के लिए भी है?”
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इसके साथ ही ए.के. स्टालिन नाम से एक सोशल मीडिया एक्स यूज़र ने केंद्र में एनडीए सरकार के सहयोगी नीतीश कुमार का उदाहरण देते हुए मौजूदा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पर निशाना साधा है। ए.के. स्टालिन ने एक वीडियो शेयर करते हुए एक्स पर लिखा है कि 1999 की बात है, उस वक्त नीतीश कुमार रेल मंत्री थे। तब एक हादसा हुआ। नीतीश कुमार ने इसकी जिम्मेदारी ली और इस्तीफा दे दिया। अब तो लोग जोक की तरह कुर्सी से चिपके हुए हैं।
रेल मंत्री जी इतना ज्यादा ट्रेन हादसा हो रहा है क्या आप जिन्दा है ? तमिलनाडु का ये भयंकर वीडियो देखा नहीं जा रहा है! मोदी जी क्या रेल मंत्री को रील बनाने के अलावा कोई और काम दोगे। मोदी शर्म करो आज विजयदशमी और दशहरा है आप लोगों ने मृत्यु दिन बना दिया है?
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माना जा रहा है कि ए.के. स्टालिन ने इस ट्वीट के माध्यम से नीतीश कुमार को एहसास दिलाया जा रहा है कि वह किसके साथ गठबंधन में हैं। इससे पहले उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी जेपी जयंती पर नीतीश कुमार से अपील की थी कि वह एनडीए के साथ अपना गठबंधन तोड़ दें। अपने संबोधन में अखिलेश यादव ने कहा- ऐसी सरकार जो समाजवादियों को जयप्रकाश नारायण को याद नहीं करने दे रही है। उससे नीतीश कुमार को अपना समर्थन वापस ले लेना चाहिए। नीतीश कुमार भी जेपी आंदोलन से उभरे हैं। यह नीतीश कुमार के लिए उस सरकार से समर्थन वापस लेने का मौका है।
बता दें कि बिहार-पश्चिम बंगाल सीमा पर गैसाल रेलवे स्टेशन के पास दो अगस्त 1999 को ब्रह्मपुत्र मेल और अवध आसाम एक्सप्रेस के बीच सीधी टक्कर हो गई थी। एक ही लाइन पर आ गई दोनों ट्रेन के टकराने से करीब 290 लोगों की मौत हुई थी। तकनीकी कारणों और खामियों के चलते हुए भीषण रेल हादसे के बाद तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार मौके पर पहुंचे थे। भयावह रेल हादसे देख कर नैतिकता के आधार उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
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इसके अलावा वाजपेयी सरकार में रेल मंत्री रहीं ममता बनर्जी ने भी साल 2000 में दो रेल हादसों के बाद इस्तीफे दे दिया था। हालांकि, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनका इस्तीफी स्वीकार नहीं किया था। मोदी सरकार में रेल मंत्री सुरेश प्रभू ने साल 2017 में दो ट्रेन एक्सीडेंट के बाद इस्तीफा दे दिया था। सबसे पहले नवंबर 1956 में तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने तमिलनाडु में अरियालुररेल हादसे के बाद नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया था।