2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक तरफ भाजपा ने अपने योद्धाओं को प्रचार मैदान पर उतार दिया है। तो दूसरी ओर भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्ष के 15 दलों ने अपनी एकता को ब्रह्मास्त्र के तौर पर पेश करने की कोशिश शुरू की है। इस कोशिश की पहली बैठक हो चुकी है। इसको लेकर बैठक के पहले भी बड़े दावे हुए और आने वाले कुछ वक्त तक यह चलता ही रहेगा। लेकिन बैठक में बैठे नेताओं की अपनी कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जो इसकी एक अलग ही कहानी बयां कर रही है।
विपक्षी दलों का मेल बना तो 155 सीटों वाले छह राज्यों में कांग्रेस बस नाम की रह जाएगी!
ममता की नाराजगी : पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी विपक्षी एकता की सूत्रधार तो नहीं लेकिन मार्गदर्शक जरुर हैं। उन्होंने ही नीतीश कुमार को पटना में सभी दलों के साथ संयुक्त बैठक कराने का सुझाव दिया था। ममता इस बैठक में शामिल होने आईं भी हैं। लेकिन बैठक में शामिल होने के बाद भी उनकी कुछ नाराजगी स्पष्ट है। वे कांग्रेस से नाराज हैं क्योंकि कांग्रेस उनके खिलाफ बंगाल में प्रदर्शन कर रही है।
केजरीवाल का बवाल : दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तो सार्वजनिक तौर पर इस बैठक में अपना एजेंडा सबसे उपर रखने की मांग पहले ही कर दी है। केजरीवाल चाहते हैं कि राज्यसभा में सभी दल उस अध्यादेश का विरोध करें, जिसके जरिए केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार से ट्रांसफर-पोस्टिंग का हक ले लिया है। कांग्रेस ने इस पर साफ कर दिया है कि यह इस बैठक का एजेंडा है ही नहीं।
अब्दुल्लाह-मुफ्ती का सवाल : जिस तरह अरविंद केजरीवाल अध्यादेश का विरोध के लिए समर्थन कांग्रेस से मांग रहे हैं। उसी प्रकार जम्मू-कश्मीर की पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्लाह के सामने धारा 370 के हटाने को लेकर सवाल हैं। उनकी कोशिश साफ है कि सभी 15 दल धारा 370 पर अपना रुख साफ करें क्योंकि दोनों नेता इस मुद्दे को सबसे उपर मानते हैं।
कांग्रेस की हिचकिचाहट : सबकी उम्मीद भी कांग्रेस से है और सबकी नाखुशी भी कांग्रेस से है। सभी दल कांग्रेस को तो चाहते हैं लेकिन यह जरुर कहते हैं कि जिन राज्यों में कांग्रेस कमजोर है, वहां से चुनावों में कांग्रेस बोरिया-बिस्तर समेट ले। ऐसे में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी हिचकिचाहट यही है कि राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते वे कैसे कई राज्यों में अपना सबकुछ दूसरे क्षेत्रीय दलों के लिए छोड़ दे।
नीतीश-तेजस्वी की कोशिश : अन्य राजनीतिक दलों के पास विश्वास करने और अविश्वास दिखाने के अपने अपने तर्क मौजूद हैं। लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की एकमात्र कोशिश यही है कि सभी 15 दल भाजपा से सामना करने के लिए एक मंच पर आ जाएं। दोनों चाहते हैं कि कांग्रेस भी इसमें खुले दिल से शामिल रहे और दूसरे दल भी कांग्रेस का पूरा सम्मान करें।