उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने को लेकर राज्य की भाजपा सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंगलवार को विधानसभा के विशेष सत्र में यूसीसी विधेयक पेश करेंगे. यूसीसी लागू होने पर उत्तराखंड के आम लोगों पर क्या प्रभाव होगा, इसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं:
1. विवाह और तलाक:
- सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी।
- पुरुष और महिला दोनों को तलाक देने के समान अधिकार होंगे।
- बहु विवाह पर रोक होगी।
- पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं होगी।
- शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा। बिना रजिस्ट्रेशन के कोई सुविधा नहीं मिलेगी।
2. लिव-इन रिलेशनशिप:
- लिव-इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी होगा।
- लिव-इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा हो सकती है।
- लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेंगे।
3. महिलाओं के अधिकार:
- महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं होगी।
- उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक मिलेगा।
4. अन्य:
- यूसीसी सभी नागरिकों के लिए, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा।
यूसीसी विधेयक के पारित होने के बाद उत्तराखंड में हो सकते हैं ये बदलाव
- सभी नागरिकों के लिए समान कानूनी व्यवस्था स्थापित होगी।
- महिलाओं के अधिकारों को मजबूती मिलेगी।
- सभी नागरिकों को समान अवसर प्राप्त होंगे।
हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि यूसीसी उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करेगा। यह देखना बाकी है कि यूसीसी लागू होने के बाद उत्तराखंड में क्या बदलाव आते हैं।
- उत्तराखंड कैबिनेट ने 5 फरवरी 2024 को यूसीसी के अंतिम मसौदे को मंजूरी दी थी।
- यूसीसी का मसौदा सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति द्वारा तैयार किया गया था।
- यूसीसी का उद्देश्य राज्य में सभी समुदायों के लिए समान नागरिक कानून स्थापित करना है।